जम्मू के राजौरी सेक्टर में आतंकियों की घुसपैठ रोकने में शहीद हुआ शाहजहांपुर का लाल सारज सिंह
Saraj Singh Martyred in Stopping Infiltration of Terrorists जम्मू के रजौरी जिले के पुंछ में आतंकियों से हुई मुठभेड़ के दौरान शाहजहांपुर जिले के बंडा का लाल शहीद हो गया। आतंकियों को घुसपैठ करने से रोकने के दौरान उनकी शहादत हुई।
बरेली, जेएनएन। Saraj Singh Martyred in Stopping Infiltration of Terrorists : जम्मू के रजौरी जिले के पुंछ में आतंकियों से हुई मुठभेड़ के दौरान शाहजहांपुर जिले के बंडा का लाल शहीद हो गया। आतंकियों को घुसपैठ करने से रोकने के दौरान उनकी शहादत हुई। सूचना मिलने के बाद से उनके गांव व क्षेत्र में शोक की लहर है। बंडा के अख्तियारपुर धौकल गांव निवासी विचित्र सिंह के सबसे छोटे बेटे सारज सिंह 16 आरआर राष्ट्रीय रायफल्स में तैनात थे। उनकी तैनाती वर्तमान समय में रजौरी जिले में थी।
सोमवार तड़के आतंकियों की घुसपैठ की सूचना मिलने पर वह सैनिकों के साथ पुंछ के सूरनकोट क्षेत्र में पहुंचे थे। जहां काफी देर तक चली मुठभेड़ में सारज सिंह के अलावा तीन अन्य सैनिक व एक जेसीओ शहीद हो गए। दोपहर में सेना के अधिकारियों ने सरजके बड़े भाई सुखवीर सिंह को इस बारे में सूचना दी। सुखवीर सिंह व उनके सबसे बड़े भाई गुरप्रीत सिंह भी सेना में हैं। दोनों की तैनाती इस समय कुपवाड़ा में है। सारज सिंह के शहीद होने की जानकारी मिलने से उनको जानने वाला हर शख्स सदमे में है। बंडा के अलावा पुवायां व अन्य स्थानों से भी उनकी शहादत पर लोगों ने गहरा दुख प्रकट किया है। प्रशासनिक व सेना के अधिकारियों को भी इस बारे में सूचना दे दी गई है।
शहीद सारज सिंह के भाई सुखवीर सिंह बोले, सीमा पर आतंकियों से लेंगे बदला : मेरा भाई अब नहीं रहा...। यह दर्द ताउम्र मेरे व परिवार के साथ रहेगा, लेकिन मुझे गर्व है कि वह देश की रक्षा में शहीद हुआ। उसने आखिरी दम तक आतंकियों का डटकर मुकाबला किया। मुझे इंतजार सीमा पर जाने का है। मौका मिलते ही आतंकियों को मारकर अपने भाई की शहादत का बदला लूंगा। यह शब्द हैं उस शख्स के जिसका भाई अब इस दुनिया में नहीं रहा। यह जज्बात हैं उस सैनिक के जिसका भाई देश के दुश्मनों से मुचैटा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हो गया।
6 आरआर (राष्ट्रीय रायफल्स) में तैनात सुखवीर सिंह अपने छोटे भाई के शहीद होने से परेशान तो थे, लेकिन स्वयं को दिलासा भी दे रहे थे। उनका कहना है जो मालिक ने तय किया है वही होगा। डरने से कुछ नहीं होता। यही सोचकर वे लोग सेना में भर्ती हुए थे। तीनों भाइयों ने कभी डरकर ड्यूटी नहीं की। सारज की कमी हमेशा महसूस होती रहेगी, लेकिन जब उसकी याद आएगी तो यह सोचकर दिलासा दे देंगे कि वह देश के लिए बलिदान हुआ। एक सैनिक के लिए भला इससे ज्यादा गर्व की बात और क्या हो सकती है।