इस सिद्ध मंदिर में आकर संत करते थे तपस्या, अपने आप प्रकट हुआ था शिवलिंग
बरेली के सात नाथ मंदिरों में तपेश्वरनाथ धाम भी शामिल हैं। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह स्थान किसी न किसी की तपस्थली जरूर रही होगी। बताते हैं कि जिस जगह पर मंदिर बना है वहां पर पहले घना जंगल होता था।
बरेली, जेएनएन। बरेली के सात नाथ मंदिरों में तपेश्वरनाथ धाम भी शामिल हैं। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह स्थान किसी न किसी की तपस्थली जरूर रही होगी। बताते हैं कि जिस जगह पर मंदिर बना है, वहां पर पहले घना जंगल होता था। जहां साधू संत गुफा बनाकर तप किया करते थे। इसी बीच एक साधू ने पीपल और नीम के पेड़ के मध्य शिवलिंग को देखा और यहीं पर तपस्या शुरू कर दी थी।
मंदिर के पुजारी रामलखन दास बताते हैं कि मंदिर की तमाम मान्यताएं हैं। बताया जाता है कि प्राचीन काल में रामगंगा नदी मंदिर के पास ही बहा करती थी। मंदिर के आस पास मौजूद बालू इसकी पुष्टि भी करती हैं। उन्होंने बताया कि पहले यहां पर एक बाबा रहते थे जिन्हें लोग गुफा वाले बाबा कहते थे। वह यहां पर बनी गुफा में तपस्या करते थे । इसके बाद यहां भालू बाबा ने भी तपस्या की। उनको यह नाम लोगों ने उनके शरीर के बालों को देखते हुए दे दिया थाा। पूरे शरीर में अधिक बाल होने के कारण उन्हें भालू बाबा का नाम दिया गया। यही नहीं उनकी कुटिया में तमाम सांप भी रहते थे। इसके अलावा यहां रामटहल दास, मुनेश्वरदास बाबा समेत अन्य सिद्ध संतों ने भी यहां पर तपस्या की। बताते हैं कि यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय से जुड़ा हुआ है और इस मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है। मंदिर के पुजारी के मुताबिक नाथ नगरी के प्रथम चार मंदिरों में तपेश्वरनाथ मंदिर भी शामिल है। इस मंदिर में भी शिवलिंग का प्रादुर्भाव स्वयं हुआ।