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Saheed Saraj Singh Funeral : त्रिशूल एयर बेस से शाहजहांपुर पहुंची बलिदानी सारज सिंह की पार्थिव देह, लाेगाें ने किए अंतिम दर्शन

Saheed Saraj Singh Funeral शहीद सारज सिंह का पार्थिव शरीर बुधवार की शाम त्रिशूल एयर बेस से शाहजहांपुर पहुंच गया है। जहां उनकी पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है।उनकी अंत्येष्टि गुरुवार को सुबह सैनिक सम्मान के साथ की जाएगी।

By Ravi MishraEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 12:58 PM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 06:37 PM (IST)
Saheed Saraj Singh Funeral : त्रिशूल एयर बेस से शाहजहांपुर पहुंची बलिदानी सारज सिंह की पार्थिव देह, लाेगाें ने किए अंतिम दर्शन
Saheed Saraj Singh : त्रिशूल एयर बेस से शाहजहांपुर पहुंची बलिदानी सारज सिंह की पार्थिव देह

बरेली, जेएनएन। Saheed Saraj Singh Funeral : शहीद सारज सिंह का पार्थिव शरीर बुधवार की शाम त्रिशूल एयर बेस से शाहजहांपुर पहुंच गया है। जहां उनकी पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है।उनकी अंत्येष्टि गुरुवार को सुबह सैनिक सम्मान के साथ की जाएगी। गांव में लोग बलिदानी सारज सिंह के अंतिम दर्शन कर रहे है। नाते-रिश्तेदार व परिचित भी बलिदानी के घर पहुंच गए है।इसके साथ ही क्षेत्रीय लोगों ने भी बलिदानी सारज सिंह के अंतिम दर्शन किए।

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सुखवीर सिंह ने बताया कि सुबह नौ बजे विमान के जरिए जम्मू से सारज का पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया। जहां से वह सेना के विशेष विमान द्वारा त्रिशूल एयर बेस लाया गया। बरेली छावनी में शहीद सारज सिंह का सेना के अधिकारियों ने सम्मान किया।जिसके बाद कैंट में सारज सिंह को सलाम दी गई। सलामी देने के बाद सेना के अधिकारी सारज सिंह के पार्थिव देह को लेकर सड़क मार्ग द्वारा शाहजहांपुर पहुंचे।जहां उनके शव को एक टैंट लगाकर रखा गया है।बलिदानी के शव को देखकर परिजनों का बुरा हाल है।परिवार के सदस्य एक दूसरे को संभालने में लगे हुए है।बलिदानी की पत्नी और उनकी मां का रो रो कर बुरा हाल है। गांव में बलिदानी का पार्थिव शरीर पहुंचते माहौल और भी गमगीन हो गया है।

सेना ने कहा हम हर पल साथ

शाम में सारज सिंह के घर सेना के दो अधिकारी भी पहुंचे। उन्होंने परिवार को ढांढस बंधाया। कहा कि वह हर पल उनके साथ खड़े हैं। दोनों ने सलामी स्थल को भी देखा। इसके बाद काफी देर तक सुखवीर से बात की और वापस चले गए। कहा कि अगर कोई जरूरत हो तो उन लोगों को बताएं। क्योंकि सारज सैन्य परिवार के सदस्य थे।

माहाैल गमगीन लेकिन याद आ रही शैतानियां

सारज के शहीद होने पर गांव में माहौल गमगीन है। सबसे ज्यादा परेशान उनके वे दोस्त हैं, जिनके साथ वह बचपन में खेले। उनके साथ पढ़ाई की। जब भी छुट्टी पर आते तो गांव में दोस्तों के बीच मस्त हो जाते थे। गांव में घूमते, खूब शरारत करते। मंगलवार को उनके दोस्त व परिचित याद करकर रो रहे थे।

सारज से वाट्सएप से बात होती रहती थी। वह बहुत ही सरल स्वभाव के थे। हम लोग साथ पढ़े, लेकिन मेरा हमेशा के लिए बिछड़ गया। गुरुचरन सिंह

सारज के साथ रोज दौड़ लगाता था, लेकिन लंबाई कम रहने के कारण सेना में भर्ती नहीं हो सका। खुशी थी कि सारज सेना में है, लेकिन अब वह भी दूर चला गया। बुधपाल सिंह

मातृभूमि की रक्षा में बलिदान देने वाले सारज सिंह को मेरा नमन है। उन्होंने हमारे कालेज से पढ़ाई की। ऐसे वीर सपूत को हमने पढ़ाया। यह गर्व की बात है। सियाराम शास्त्री, प्रधानाचार्य

 


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