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Saheed Saraj Singh : बलिदानी सराज सिंह को वीरांगनाओं का सलाम, शहीद की पत्नी को बंधाई हिम्मत, बोलीं- घबराओ नहीं रजविंदर हम तुम्हारे साथ है

Saheed Saraj Singh भारत माता की रक्षा के लिए आतंकियों से मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए सारज सिंह पर वीर नारियों को भी नाज है। सभी ने राष्ट्ररक्षा के लिए सारज के बलिदान को अतुलनीय बताया। इसके साथ ही सारज सिंह की पत्नी रजविंदर सिंह को संदेश दिया।

By Ravi MishraEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 04:51 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 04:51 PM (IST)
Saheed Saraj Singh : बलिदानी सराज सिंह को वीरांगनाओं का सलाम, शहीद की पत्नी को बंधाई हिम्मत, बोलीं- घबराओ नहीं रजविंदर हम तुम्हारे साथ है
Saheed Saraj Singh : बलिदानी सराज को वीरांगनाओं का सलाम

बरेली, जेएनएन। Saheed Saraj Singh : भारत माता की रक्षा के लिए आतंकियों से मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए सारज सिंह पर वीर नारियों को भी नाज है। सभी ने राष्ट्ररक्षा के लिए सारज के बलिदान को अतुलनीय बताया। इसके साथ ही सारज सिंह की पत्नी रजविंदर सिंह को संदेश भी दिया कि मत घबराना, हम तुम्हारे साथ हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में वीर नारियों सरकार से आर्थिक मदद, पेंशन के साथ आश्रितों को आत्मनिर्भर बनाने को सर्वाधिक जरूरी बताया। 

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रजविंदर भाग्यशाली, हमें तो सिर्फ वदी देखने को मिली

पुवायां विकास खंड के जंगलपुर गांव निवासी बल्देव सिंह की मां बलवीर कौर 85 साल की है। जब उन्हें बंडा के लाल सारज सिंह के राष्ट्र के लिए बलिदान होने की खबर मिली। 1965 भारत पाक युद्ध में वीर गति को प्राप्त मलोक सिंह की यादें ताजा हो गईं। उन्हें पति की पार्थिव देह के भी दर्शन नहीं हुए थे। सिर्फ घर पर सैन्य वर्दी आयी थीं। रजविंदर कौर बताती है कि जब उनके पति शहीद हुए उनके बेटे बल्देव दो साल के थे। परवरिश के लिए भाई सिच्चा सिंह ससुराल करनाल हरियाणा से मायके शाहजहांपुर ले आए। तब 50 रुपये प्रति माह पेंशन मंजूर हुई, अन्य कोई मदद न मिली। तीन वर्ष पूर्व पेंशन बढ़ी जो अब 35 हजार मिल रही है। लेकिन बल्देव सिंह को दुख है कि उन्हें आज तक न तो कोई आर्थिक सहायता मिली न पेट्रोल पंप, राशन कोटा दुकान समेत अन्य कोई मदद।

तीन माह बाद ही इमामन का छूट गया था पति से साथ

तिलहर तहसील के खेड़ा बझ़ेड़ा निवासी कुतुबुद़दीन खान शादी के तीन माह बाद ही 1962 के भारत चीन युद्ध में शहीद हुए। उनकी पत्नी इमामन ने पति की याद में पूरी जिंदगी काट दी। वृद्धावस्था में सहारे के लिए वह बरेली जनपद के शेरअली गौटिया के मुहल्ला नवादा जोगियान निवासी भांजे गुलबशर के साथ रहती है। इमामन कहती है यदि उनका कोई बेटा होता तो वह सेना में भेजती। सारज के बलिदान होने पर बोली रजविंदर भाग्यशाली है तो उसे पति के अंतिम दर्शन मिलेंगे। हमें तो वह भी नसीब न हुआ। कहा पति की याद में पूरी जिंदगी काट दी। भांजा ने बेटे से भी बढ़कर साथ दिया।

रजविंदर से मिलने जाएगी वीरनारी सुनीता

कारगिल युद्ध बलिदानी रमेश सागर की पत्नी सुनीता सिंह अख्तियारपुर धौकल जाएंगी। वह सारज सिंह के अंतिम दर्शन करने के साथ रजविंदर से मिलेगी। सुनीता सिंह कहती है कि सरकार की मदद से मरहम लगता लेकिन घाव नहीं भरते। सुहाग खाेने के बाद बच्चों की परवरिश में जो परेशानियां आती है उन्हें पीड़ित को ही पता चलता है। सुनीता ने बताया कि उनके पति के बलिदान होने के बाद पेट्रोल पंप मिला। 25 लाख की सहायता मिली। लेकिन दिव्यांग बेटे समेत परिवार के पालन पोषण में जो परेशान हुई, उसे कोई दूसरा नहीं बांट सकता। सुनीता ने कहा वह रजविंदर कौर के साथ खड़ी है। सरकार को मदद के साथ सैन्य बलिदानियाें के बच्चों की परवरिश के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनने तक मदद करनी चाहिए।

वीरनारी निर्मला ने बेटे को बनाया शिक्षक

खेड़ा बझेड़ा निवासी के सत्यपाल सिंह 1984 के आपरेशन ब्लू स्टार में बलिदान हुए थे। अमृतसर पंजाब के स्वर्ण मंदिर में बलिदान होने पर निर्मला देवी अकेली रह गईं। उन्होंने अकेले दम पर बेटे शैलेंद्र प्रताप सिंह को बेहतर परवरिश की। नतीजतन शैलेंद्र बीपीएड के बाद पूर्व माध्यमिक विद्यालय में अनुदेशक हो गए। सरकार ने मदद स्वरूप गांव में तीन एकड़ का पट्टा कर दिया। वर्तमान में निर्मला देवी बेटे के साथ साउथ सिटी में रहती है, शैलेंद्र प्रताप सिंह ददरौल ब्लाक के बकिया पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पढ़ा रहे हैं।


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