पुलिस-वकील विवाद : रिटायर्ड जज बोले सभी काे करना होगा आचार नियमावली का पालन Bareilly News
न्याय पालिका और पुलिस की तरह ही वकीलों के लिए भी कोड ऑफ कंडक्ट (आचार नियमावली) होना चाहिए।
जेएनएन, बरेली : तारीख-दो नवंबर 2019..। जगह- तीस हजारी कोर्ट दिल्ली। पार्किंग के मामूली विवाद में पुलिस और वकीलों में टकराव हो गया। मामला वहीं नहीं थमा। कड़कड़डूमा और साकेत कोर्ट में भी झड़प हुईं। बाद में अधिवक्ता हड़ताल पर चले गए, पुलिस ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया। यदि दोनों पक्ष नियमों का पालन करते तो यह टकराव होता ही नहीं। अधिवक्ता ने गाड़ी नो-पार्किंग में खड़ी की थी तो पुलिस कर्मी को इसकी जानकारी यातायात पुलिस को देनी चाहिए। वहीं, अधिवक्ता को भी गाड़ी नो पार्किंग में नहीं खड़ी करनी चाहिए थी। ये बातें कैसे थमें आए दिन के पुलिस-वकील टकराव? विषय पर सोमवार को आयोजित जागरण विमर्श कार्यक्रम में रिटायर्ड जज नानक चंद हरित ने कहीं। उनका सुझाव है कि न्याय पालिका और पुलिस की तरह ही वकीलों के लिए भी कोड ऑफ कंडक्ट (आचार नियमावली) होना चाहिए। जिससे तीनों अपने नियमों के दायरे में रहकर बेहतर तरीके से कानून व्यवस्था लागू करने में योगदान दे सके। सरकार और बार काउंसिल ऑफ इंडिया इसे सेंट्रल या स्टेट लेवल पर लागू कर सकते हैं। इससे आएदिन पुलिस और वकील के बीच होने वाले टकराव की घटनाओं पर अंकुश लग सकता है।
कानून व्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलू Police & Advocate
रिटायर्ड जज नानक चंद हरित का मानना है कि पुलिस और अधिवक्ता कानून व्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलू है। दोनों कानून व्यवस्था लागू करने में अपना योगदान देते हैं। उनमें टकराव होने से रूल ऑफ लॉ नष्ट होता है।
सरकार अपने स्तर पर तैयार कराएं Code of Conduct
रिटायर्ड जज नानक चंद हरित ने बताया कि कानून व्यवस्था के तीन स्तम्भ हैं। पहला न्याय पालिका, दूसरा पुलिस और तीसरा अधिवक्ता। न्याय पालिका और पुलिस के लिए कोड ऑफ कंडक्ट बना हुआ है। रूल बुक भी है। उनका सुझाव है कि सरकार को विधि विशेषज्ञों से विमर्श कर अधिवक्ताओं के लिए भी इस तरह का कोड ऑफ कंडक्ट तैयार करना चाहिए। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के जरिये इसे सेंट्रल या स्टेट लेवल पर लागू भी किया जा सकता है।
Advocates को भी दिलाई जाएं कानून के पालन की शपथ
रिटायर्ड जज नानक चंद हरित ने बताया कि कानून यानी विधि के छात्रों को एक फामरूला पढ़ाया जाता है ह्य3 डीह्ण यानी ड्रेस, डेकोरम और डेमोस्ट्रेशन प्लस डिसीजन। मसलन, वह किस तरह की वेशभूषा पहने। किस तरह व्यवहार करें और किस तरह शालीनता व तर्को से अपनी बात को प्रस्तुत करें। उनका सुझाव है कि डॉक्टरों को जिस तरह पढ़ाई पूरी करने पर मानव सेवा की शपथ दिलाई जाती है। उसी प्रकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया को सर्टिफिकेट जारी करते समय अधिवक्ताओं को शपथ दिलानी चाहिए कि वह थ्री डी फार्मूले का पालन करेंगे।
कैसे थमें आए दिन के पुलिस-वकील टकराव विषय पर रिटायर्ड जज नानक चंद हरित ने रखे अपने विचार
कोर्ट व वकीलों की संख्या में स्थापित किया जाए सामंजस्य
रिटायर्ड जज नानक चंद हरित का सुझाव है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया को कोर्ट व वकीलों की संख्या में सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। तीस हजारी कोर्ट का उदाहरण देते हुए समझाया कि वहां 40 कोर्ट के सापेक्ष करीब वकीलों की संख्या 60 हजार है।