शोध में सुझाया अनुच्छेद 370 हटाने का तरीका Bareilly News
जम्मू-कश्मीर विशेष राज्य और संविधान के अनुच्छेद 370 एक आलोचनात्मक विधिक अध्ययन शोध पत्र में इसे आसानी से हटाए जाने का जिक्र किया।
बरेली [अतीक खान] : जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा 1956 में समाप्त हो गई थी। जबकि 1950 में लागू हुए भारतीय संविधान में स्पष्ट है कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की अनुमति से ही हटाया जा सकता है। इसे हटाने के लिए दोबारा नई संविधान सभा का गठन किया जाए। संविधान विशेषज्ञ अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मुद्दे पर हमेशा यही तर्क देते आए हैं।
एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के विधि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमित सिंह की राय इससे उलट रही। उन्होंने ‘जम्मू-कश्मीर विशेष राज्य और संविधान के अनुच्छेद 370 : एक आलोचनात्मक विधिक अध्ययन’ शोध पत्र में इसे आसानी से हटाए जाने का जिक्र किया। इस तर्क के साथ कि भारत की संसद संप्रभु है। अनुच्छेद 370 हटाने के लिए जम्मू-कश्मीर की नई संविधान सभा गठित करने की जरूरत नहीं है। संविधान सभा का तात्पर्य विधानसभा से लगाया जाए। यानी भारत सरकार संविधान सभा की जगह विधानसभा रखकर भी इस धारा को हटा सकती है।
डॉ. अमित सिंह के मुताबिक, ऐसा ही तरीका भारत सरकार ने अपनाया है। डॉ. अमित सिंह ने अनुच्छेद 370 पर दो लघु शोध करने के बाद अपना रिसर्च पेपर तैयार किया है। इसमें स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 35-ए, अनुच्छेद 370 के हटते ही स्वत: समाप्त हो जाएगा।
चुनौती के प्रमुख आधार
डॉ. अमित सिंह के मुताबिक, अलगाववादी नेता व राजनीतिक दल इसे कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। इसके दो प्रमुख आधार हैं।
- भारत सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है। उसमें राज्य सरकार की अनुमति का जिक्र किया है। यहां राज्य सरकार की अनुमति का तात्पर्य राज्यपाल से लगाया है। मगर राज्यपाल की अनुमति, चुनी हुई सरकार की सहमति नहीं है।
- दूसरा 1948 में राजा हरि सिंह ने विलय पत्र पर कुछ शर्तो के साथ दस्तख्त किए थे।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप