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शोध में आया सामने, बरेली के सात ब्लॉकों की जमीनें नहीं रह गईं खेती लायक Bareilly news

जिले के 15 ब्लॉक में से सात ऐसे हैं जिनकी जमीनें तेजी से बंजर हो रही हैं। यहां खेती करने वाले किसानों को 40 से 60 फीसद तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। नुकसान का आंकड़ा बढ़ रहा है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 30 Nov 2019 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 06:03 PM (IST)
शोध में आया सामने, बरेली के सात ब्लॉकों की जमीनें नहीं रह गईं खेती लायक Bareilly news
शोध में आया सामने, बरेली के सात ब्लॉकों की जमीनें नहीं रह गईं खेती लायक Bareilly news

हिमांशु मिश्र, बरेली : मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती... मेरे देश की धरती... एक जमाना था जब लोग इस फिल्मी गाने के साथ गर्व से अपने देश की उपजाऊ धरती का बखान करते थे। लेकिन आज हालात ठीक इसके उलट हो चुके हैं। बरेली की बात करें तो जिले की धरती तेजी से बंजर होती जा रही है। जी हां, बरेली कॉलेज के बॉटनी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजीव यादव के शोध से यह हैरान कर देने वाली सच्चाई सामने आई है। जिले के 15 ब्लॉक में से सात ऐसे हैं जिनकी जमीनें तेजी से बंजर हो रही हैं। यहां खेती करने वाले किसानों को 40 से 60 फीसद तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। नुकसान का यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ रहा है।

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किस ब्लॉक में क्या मिली खामियां

मझगवां और आलमपुर जाफराबाद : यहां की मिट्टी अम्लीय हो रही है। क्योंकि पीएच की मात्रा 6.8 मिली है जो कम से कम 7 होनी चाहिए।

नवाबगंज : यहां आर्गेनिक कार्बन की मात्रा महज 0.15 पाई गई है। सामान्यता इसकी मात्रा 0.51 से 0.80 फीसद तक होनी चाहिए।

भोजीपुरा, भदपुरा और बहेड़ी : यहां फास्फोरस की मात्रा 4.50 फीसद है। जबकि सामान्यत 20.1 से 40.00 फीसद तक होनी चाहिए।

मीरगंज : यहां आयरन की मात्रा 3.27 फीसद है जो सामान्यत 10 फीसद से कम नहीं होनी चाहिए।

इसलिए मिट्टी हो रही कमजोर

डॉ. राजीव के मुताबिक, मौजूदा समय में हर जगह केमिकल, पेस्टीसाइड का प्रयोग काफी बढ़ गया है। यह मिट्टी को बंजर बनाता जा रहा है।

ऐसे किया शोध

डॉ. राजीव के मुताबिक, उन्होंने अप्रैल से अगस्त 2018 के बीच शहर के सभी 15 ब्लॉक से मिट्टी के सैंपल लेकर उत्तर प्रदेश रीजनल सॉयल एंड कल्चर लेबोरेट्री, बिल्बा में परीक्षण किया। जिसे इसी माह राष्ट्रीय स्तर के शोध पत्रिका जनरल ऑफ सॉयल साइंसेज एंड कॉप्र्स में प्रकाशित किया गया है।

इसपर किया फोकस

डॉ. राजीव के मुताबिक, परीक्षण में मिट्टी के अंदर पीएच, आर्गेनिक कार्बन, फास्फोरस, पोटास, आर्गेनिक सल्फर, जिंक, आयरन, मैग्नीज और कॉपर की मात्रा देखी गई। यह सभी फसलों के विकास के लिए काफी अहम होते हैं। निर्धारित मात्रा से कम या अधिक दोनों ही परिस्थितियों में जमीन बंजर होने लगती है।  


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