ममता की आस : रामपुर निवासी परिवार ने कहा, डीएनए जांच के आधार पर मानेंगे बात
अस्पताल में भर्ती सवा महीने की मुस्कान अपने परिजनों के पास जाएगी मगर इससे पहले डीएनए टेस्ट होगा। इस पर मंगलवार को सहमति बन गई।
बरेली, जेएनएन : अस्पताल में भर्ती सवा महीने की मुस्कान अपने परिजनों के पास जाएगी मगर इससे पहले डीएनए टेस्ट होगा। इस पर मंगलवार को सहमति बन गई। जिन लोगों ने बच्ची को भर्ती कराया था, वे बाल कल्याण समिति के सामने पेश हुए। कहा कि जांच करा लें, यदि बच्ची उनकी निकली तो अपना लेंगे। घर ले जाएंगे।
गुरुनानक अस्पताल में भर्ती मुस्कान को परिवार वाले इसलिए अपनाने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें अंदेशा है कि पैदा तो बेटा हुआ था। डॉक्टर ने झूठ बोलकर बाद में कह दिया कि बच्ची पैदा हुई। ऐसे में बच्ची जिसकी है, उसी के घर जाए। डीएनए टेस्ट से पता चल जाएगा कि हकीकत क्या है। यही बात बाल कल्याण समिति के सामने पेश हुए परिजनों ने कही।
वहां पहुंचे रामपुर के ग्राम डडिया निवासी होरीलाल व अन्य को मजिस्टेट डॉ. डीएन शर्मा ने समझाया। कहा कि बेटी या बेटी में फर्क क्यों, नवजात को घर ले जाएं। इस पर होरीलाल ने कहा कि बच्ची को घर ले जाने से कोई गुरेज नहीं है। मगर यह भी तय हो जाए कि वह हमारी ही बच्ची है। ऐसा डीएनए टेस्ट से ही स्पष्ट हो सकेगा और कोई शंका भी नहीं रहेगी।
हालत स्थिर, कम हुआ संक्रमण
मुस्कान का संक्रमण कम हुआ है। सांस लेने में दिक्कत होने के चलते ऑक्सीजन दी जा रही। इलाज कर रहे डॉ. मनित सलूजा ने बताया कि मुस्कान का हीमोग्लोबिन 7.7 से बढ़कर दस प्रतिशत हो गया है।
संस्था पदाधिकारियों ने भी समझाया
मुस्कान को उसकी मां की परवरिश मिल सके इसलिए छोटी सी आशा संस्था की अध्यक्ष पारुल मलिक ने भी उन्हें समझाया। लड़कियों के कई सारे ऐसे उदाहरण पेश किए, जिन्होंने अपने माता-पिता का ख्याल लड़कों के मुकाबले कहीं ज्यादा रखा है। होरीलाल ने हामी भरी मगर कहा कि डीएनए टेस्ट में जो आएगा, उन्हें मंजूर होगा।
गुरुवार को उपस्थित होगी ममता
होरीलाल ने बताया कि ममता की तबीयत खराब होने के कारण आज नहीं आ सकी। गुरुवार को वह आकर शपथपत्र प्रस्तुत करेगी। बोले कि अस्पताल वाले कागजों में लड़के का इलाज करते रहे। होरीलाल के दस साल की एक बेटी है। तीन बेटे भी हुए मगर उनकी मौत हो गई।
लड़का बताने वाले भी बीमारी से सहमत
ममता की डिलीवरी रामपुर में गुरुकृपा क्लीनिक पर हुई थी। जहां साढ़े छह माह के प्री मेच्योर बच्चे को लड़का बताकर परिजनों को सौंप दिया था। जिसके बाद उन्होंने बच्चे को गुरुनानक हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। चिकित्सकों ने बच्चे को हाइपरट्रोफाइड क्लाईटोरिस से पीड़ित बताया।
डीएन टेस्ट प्रक्रिया शुरू करने के दिए गए आदेश
बाल कल्याण समिति में मजिस्ट्रेट डॉ. डीए शर्मा ने बताया कि मामले में होरीलाल ने अपना लिखित बयान दे दिया है। डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दे दिए गए हैं।
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