बरेली में निजी कोविड अस्पताल सीएमओ कार्यालय को कर रहे गुमराह, शर्तों के उल्लंघन पर 16 अस्पतालों को नोटिस
कोरोना संक्रमण के दौरान मरीजों को इलाज मुहैया कराने के लिए बनाए गए निजी कोविड अस्पताल पूरी तरह मनमानी पर उतारू हैं। शर्तों का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्हें अपने यहां भर्ती मरीजों उनके इलाज और वसूले जाने वाले जार्च की सूचनाएं सीएमओ कार्यालय के साथ साझा करनी थी।
बरेली, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के दौरान मरीजों को इलाज मुहैया कराने के लिए बनाए गए निजी कोविड अस्पताल पूरी तरह मनमानी पर उतारू हैं। रजिस्ट्रेशन के दौरान बताई गई शर्तों का भी पालन नहीं कर रहे हैं। उन्हें अपने यहां भर्ती मरीजों, उनके इलाज और वसूले जाने वाले जार्च की सूचनाएं सीएमओ कार्यालय के साथ साझा करनी थी। लेकिन एक भी अस्पताल ने सूचनाएं सीएमओ कार्यालय को भेजी है।
सीएमओ ने संचालित सभी 16 निजी कोविड अस्पतालों को नोटिस जारी कर दिया है।संक्रमण बढ़ने के साथ जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए शासन की अनुमति पर 16 निजी अस्पतालों को कोविड अस्पताल बनाया गया है। इन्हें कोविड अस्पताल के रूप में पंजीकृत करते वक्त स्वास्थ्य विभाग ने कुछ शर्तें भी लगाई थी। सीएमओ कार्यालय को निजी अस्पतालों से प्रति लेने का मकसद कोविड मरीजों से वसूली रोकना था। हाल में हुई समीक्षा में सामने आया कि जिले के सभी अस्पताल इन शर्तों का उल्लंघन कर रहे है। अब तक किसी भी अस्पताल ने सीएमओ को मरीजों के बिल की प्रति नहीं भेजी है। इसके बाद सीएमओ ने सभी अस्पतालों को अलग से पत्र जारी किए हैं।
सीएमओ सुधीर कुमार गर्ग ने बताया कि जिले के निजी कोविड अस्पतालों को मरीजों से लिए जाने वाले शुल्क की एक प्रति सीएमओ कार्यालय भेजने को कहा गया था, लेकिन अब तक किसी ने भी जानकारी नहीं भेजी है। इस पर सभी अस्पतालों को नोटिस भेजे गए हैं। सूचना नहीं देने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई होगी।
जिले में कोविड अस्पताल : खुशलोक अस्पताल, गंगाशील अस्पताल, साईं सुखदा अस्पताल, रामकिशोर अस्पताल, क्लारा स्वाॅन मिशन अस्पताल, विनायक अस्पताल, श्रीनाथ मेडिकल अस्पताल, मेडिसिटी अस्पताल, मेधांश अस्पताल, श्रीगंगाचरण अस्पताल, धनवंतरी तोमर अस्पताल, महेंद्र गायत्री अस्पताल, एपेक्स अस्पताल, दीपमाला अस्पताल, केयर अस्पताल, सिद्धि विनायक और फ्यूचर अस्पताल।
ये शर्तें लगाई, लेकिन मनमानी जारी रही
- अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना के मरीजों की पूरी जानकारी भेजनी थी।
- स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें मरीजों से लिए जाने वाले चार्ज का बिल तीन प्रतियों में निकालने को कहा था।
- एक प्रति अस्पताल की, दूसरी मरीज की और तीसरी प्रति सीएमओ को भेजने के निर्देश थे। ताकि गड़बड़ी न हों।
- अस्पताल में आयुष्मान योजना के मरीजों के लिए निश्चित बेड और उनके इलाज की जानकारी भी देनी थी।
- शासन से निर्धारित शुल्क ही मरीजों से लेने को कहा था। इसके बिल भी भेजे जाने थे।