Ramleela in Bareilly Jail : रामायण के किरदारों में उतर रहे बंदियों के बदल रहे भाव
शायद पाप हो गया था ...। पहले लगा कि जेल में सजा बतौर आया मगर असल में यह मेरा प्रायश्चित है। एक महिला कितने कष्टों का सामना करती है अब बेहद करीब से महसूस कर रहा हूं। यह भाव जेल में सीता का किरदार निभाने वाले मनोज कुमार के है।
बरेली, अनुज मिश्र । शायद पाप हो गया था ...। पहले लगा कि जेल में सजा बतौर आया, मगर असल में यह मेरा प्रायश्चित है। एक महिला कितने कष्टों का सामना करती है, अब बेहद करीब से महसूस कर रहा हूं। माता सीता का किरदार निभाने के लिए दो महीने से लगातार उनके बारे में पढ़ रहे बहेड़ी के मनोज कुमार के यह भाव उस प्रयास को फलीभूत साबित रहे, जिस वजह से जिला जेल में रामलीला शुरू की गई। वह दहेज हत्या के आरोप में बंद हैं। उनके जैसे 45 बंदी हैं, जो शनिवार से शुरू हुई रामलीला के पात्र हैं।
कोई हत्या के आरोप में बंद तो कोई छेड़खानी के कारण। सब राम और रामायण में रम गए हैं। हर किरदार में इतनी गहराई से उतरे हैं कि भगवान के आदर्श और मानव के स्वभाव के बीच के अंतर को खूब समझ चुके हैं। भगवान के नाम की पावन धारा के बीच उनके निर्मल मन हो रहे। हर किरदार को मिली सीख सीता का किरदार निभा रहे मनोज कहते हैं कि उदरा गांव से तीन साल पहले गिरफ्तार किया गया था।
रामायण ने मेरे मन को बदला है। पति-पत्नी का रिश्ता एक दूसरे की समझ पर टिका है। दोनों का फर्ज है कि कहीं बाधा आए तो मिलकर सुझलाएं। मर्यादा का पालन करना सीख लिया भगवान राम का पात्र निभा रहे बदायूं के वजीरगंज में रहने वाले बंदी राजकुमार कहते हैं, काश, मैंने रामायण को पहले पढ़ ली होती। रिहर्सल के दौरान हर पात्र को करीब से समझा। मर्यादा का पालन सीख लिया है।
उन्हें दो साल छेड़खानी के मामले में बंद किया गया था। सेवा ही सबसे बड़ा धर्म आंवला के सिरौली स्थित गुलड़िया अरील के अर्जुन लक्ष्मण का किरदार निभा रहे हैं। हत्या के मामले में चार साल से जेल में हैं। कहते हैं कि रामायण पढ़ने के बाद लगा कि असल धर्म तो सेवा करना है। बुरे का अंत बुरा चार साल से हत्या के मामले में बंद बिहारीपुर के संजीव सिंह रावण की भूमिका निभा रहे हैं।
बोले, रावण के संवाद बोलते समय उसका परिणाम भी दिमाग में बना रहता है। बुरे का अंत भी बुरा है, इसलिए सद्मार्ग पर चलना सीख लें। जेल की रामलीला मेरे लिए बड़ी सीख है। प्रभु की शरण में प्रेमशंकर आंवला के शिवनगर के रहने वाले प्रेमशंकर हत्या के मामले में आजीवन उम्रकैद काट रहे। कहते हैं कि अब भगवान की शरण में हूं। इस रामलीला का निर्देशन भुता के रम्पुरा निवासी सतीश शर्मा कर रहे। सात साल से जेल में हैं। वही इस रामलीला का निर्देशन कर रहे हैं।
इसलिए हुई पहल जिला जेल के अधीक्षक विक्रम सिंह कहते हैं कि दो महीने पहले रामलीला मंचन का प्रस्ताव रखा तो कई बंदी तैयार हो गए। मैंने कहा, किरदार निभाने से पहले रामलीला पढ़नी होगी, प्रत्येक पात्र की तरह व्यवहार करना होगा। बंदियों ने हामी भरी। रामायण पढ़नी शुरू कर दी, हर पात्र के महत्व को समझना शुरू कर दिया। धर्म और सत्य का मार्ग कितना जरूरी है, यह उनकी समझ में आने लगा। बस, यही मेरा मकसद था। ये लोग आपराधिक मानसिकता से दूर होकर धर्म-आध्यात्म और सत्य का रास्ता पकड़ें।