Positive India : बरेली में इनके संकल्पों से हरा-भरा हो रहा धरती का आंगन Bareilly News
संकल्प लेना तो आसान है पर दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर इसे साकार करना मुश्किल। पर यह बात उत्साह जगाती है कि हमारे बीच ही ऐसे लोग भी हैैं ।
बरेली, जेएनएन । World Environment Day : संकल्प लेना तो आसान है पर दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर इसे साकार करना मुश्किल। पर, यह बात उत्साह जगाती है कि हमारे बीच ही ऐसे लोग भी हैैं जो हरीतिमा बचाने और बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर पढ़ें बरेली, शाहजहांपुर और पीलीभीत के कुछ ऐसे ही उत्साही लोगों के प्रयास की कहानी जिनकी बदौलत धरती का आंगन हरा-भरा हो रहा है। तपती धूप में लोगों को छांह मिल रही है और हमें जीने के लिए शुद्ध पर्यावरण।
समाज को दे रहे ऑक्सीजन का 'आशीष'
शाहजहांपुर जिले में स्थित ऑर्डिनेंस क्लॉदिंग फैक्ट्री (ओसीएफ) के लेखा विभाग में कार्यरत शहर के मालखाना मोड़ निवासी आशीष वर्ष 2018 से सार्वजनिक स्थानों पर हरियाली फैलाने के मकसद से पौधे लगा रहे हैं। आशीष 'माय हाफ ट्रीÓ संस्था बनाकर अन्य लोगों को भी पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम से जोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि पेड़ के फल व लकड़ी शायद हमें न मिलें पर उनसे शुद्ध होने वाले पर्यावरण का लाभ हमें जरूर मिलेगा। अब तक साढ़े तीन हजार से अधिक पौधे लगा चुके आशीष फर्रुखाबाद के कायमगंज से पौधे मंगवाते हैं। क्योंकि वहां करीब 12 फीट की ऊंचाई तक के पौधे मिलते हैं, जो जिले में उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कैंट व रेलवे के अलावा कई कॉलोनियों में हरिशंकरी, गुलमोहर, गूलर, कदंब, नीम आदि के पौधे लगाए हैं। वे आसपास के लोगों को सुरक्षा का जिम्मा सौंपते हैं।
उनके लगाए 70 फीसद पौधे जीवित हैं। अपनी तनख्वाह से आठ हजार रुपये प्रतिमाह खर्च करने वाले आशीष नर्सरी बनाना चाहते हैं। लोगों को पांच पेड़ दान करने का संकल्प दिलाते हैं। परिचितों के जन्मदिन, शादी, सालगिरह पर पौधारोपण कराने वाले आशीष ने इस वर्ष भी एक हजार पौधे रोपने का संकल्प लिया है।
जारी रखेंगे पौधे भंडारा
पीलीभीत शहर में मधुवन कॉलोनी में रहने वाले सीए संजय अग्रवाल ने अपने आवासीय परिसर में वाटिका विकसित कर रखी है। लोगों को पर्यावरण का संरक्षण करने के प्रति जागरूक करते रहते हैं। पौधरोपण के लिए नया तरीका निकाला। बाजार से जो भी फल लाते हैं, उसके बीज सहेज लेते हैं। बारिश के दिनों में बाहर जाने पर वही बीज सड़कों के किनारे झाडिय़ों में डालते जाते हैं। आम, जामुन, लीची जैसे फलों के बीज वह अपनी कार में रखकर चलते हैं। इसके अलावा हर साल जुलाई से सितंबर तक हर माह पौधा भंडारा लगाते हैं। जिसमें लोगों को पौध वितरित कर रोपण कराया जाता है। कहते हैं कि इस बार पांच सौ पौधे लगवाने का संकल्प है।
पड़ोसियों को बांटेंगे पौधे
पीलीभीत जिले के ही मुहल्ला थान सिंहमें रहने वाले आकाश नारायण पाराशर कारोबारी हैं। कामकाज के बीच सुबह और शाम को खाली वक्त का सदुपयोग वाटिका बनाने में करने लगे। घर में कई पौधे हो गए तो दूसरों को प्रेरित करने लगे। तुलसी के पौधे बांटकर उन्हें घर में लगाने को कहते हैं। गमलों में पीपल, बरगद, सत्यपर्णी के पौधे भी उगाते हैं। बाद में खुले स्थान पर उनकी रोपाई करते हैं। वह कहते हैं कि सिर्फ एक दिन नहीं, पूरे साल पर्यावरण की चिंता करनी चाहिए। वाटिका में तुलसी के तीन सौ पौधे तैयार हैं। जिन्हें घर-घर बांटेंगे। कहते हैं कि लोग पर्यावरण को लेकर फिक्रमंद तो हैं मगर कदम बढ़ाने से हिचकते हैं। कोशिश रहेगी कि यह हिचक दूर करें। इस मानसून में मुहल्ले के बाकी लोगों को भी साथ लेकर इस मुहिम में आगे ले जाएं। लक्ष्य है कि मुहल्ले के करीब पचास लोग इसमें शामिल हों।