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मुफलिसी के हाल किए बयां तो घर में कराया क्वारंटाइन

जरी जरदोजी कारीगर है कोई दर्जी। रोजगार की तलाश में ये अबुधाबी में अपने रिश्तेदारों के पास पहुंच तो गए। लेकिन कोरोना संक्रमण फैलने के बाद कमाई हो सकी और न वापसी। दूतावास की मदद से खाने को मोहताज तो नहीं हुए लेकिन जेब लगभग खाली ही थी। वंदे भारत सेवा के जरिए 14 जून को दिल्ली एयरपोर्ट आने के बाद छह प्रवासी बरेली पहुंचे। इन्होंने 300 बेड अस्पताल में सैंपल दिए। नियमानुसार सात दिन होटल में और शेष सात दिन होम क्वारंटाइन होना था। लेकिन सभी ने खराब माली हालत का हवाला दिया। डॉक्टरों से लेकर प्रशासन ने भी उनकी परेशानी देखकर रियायत बरती। अब सभी अपने-अपने घर में ही चौदह दिन के लिए क्वारंटाइन हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Jun 2020 02:43 AM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2020 02:43 AM (IST)
मुफलिसी के हाल किए बयां तो घर में कराया क्वारंटाइन
मुफलिसी के हाल किए बयां तो घर में कराया क्वारंटाइन

बरेली, जेएनएन : जरी जरदोजी कारीगर है, कोई दर्जी। रोजगार की तलाश में ये अबुधाबी में अपने रिश्तेदारों के पास पहुंच तो गए। लेकिन कोरोना संक्रमण फैलने के बाद कमाई हो सकी और न वापसी। दूतावास की मदद से खाने को मोहताज तो नहीं हुए लेकिन जेब लगभग खाली ही थी। वंदे भारत सेवा के जरिए 14 जून को दिल्ली एयरपोर्ट आने के बाद छह प्रवासी बरेली पहुंचे। इन्होंने 300 बेड अस्पताल में सैंपल दिए। नियमानुसार सात दिन होटल में और शेष सात दिन होम क्वारंटाइन होना था। लेकिन सभी ने खराब माली हालत का हवाला दिया। डॉक्टरों से लेकर प्रशासन ने भी उनकी परेशानी देखकर रियायत बरती। अब सभी अपने-अपने घर में ही चौदह दिन के लिए क्वारंटाइन हैं। कारीगरों से बातचीत :

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जरी कारीगर हूं। अबुधाबी में चचेरे भाई रहते थे। उन्हीं के पास नौकरी के लिए गया, लेकिन फंस गया था। अब होम क्वारंटाइन हूं।

- हैदर अली, प्रेमनगर हमारे पास इतना पैसा नहीं था कि वापस आ सके। जिस कंपनी के लिए गए थे। उसी ने वापस भिजवा दिया है। लेकिन होटल में रुकने के लिए रुपये नहीं है।

- जावेद, बारादरी पेशे से दर्जी हूं। क्या मैं किसी होटल में रोज का हजार रुपये का खर्च उठा सकता हूं। तीन महीने तो वहीं फंसे रहे। अब घर पर जान सलामत है।

- मुहम्मद इस्लाम, श्यामगंज हम जरी के कामगारों की माली हालत खराब ही होती है। नौकरी की तलाश में रिश्तेदारों के पास दूर तलक पहुंच जाते हैं। होटल का खर्च कैसे उठाते।

- वसीम खान, मोहनपुर ----------------

सैन फ्रांसिस्को, फिनलैंड से भी बरेली के नागरिक वापस आए

जासं, बरेली : दूतावास से मिली जानकारी के मुताबिक सैन फांसिस्को से एक नागरिक, फिनलैंड से तीन नागरिक बरेली आए हैं। सभी को एहतियातन होटलों में क्वारंटाइन किया गया है। उनके परिवारों को जानकारी भेजी जा चुकी है। इसमें कोई अपने रिश्तेदार से मुलाकात के लिए गया, लेकिन लॉकडाउन होने के बाद फंसा था। उन्हें सात दिन के लिए अपने कमरे में खाने-पीने का खर्च खुद उठाना होगा। बरेली में इससे पहले तीन रुस से आए नागरिकों को भी क्वारंटाइन करवाया गया था। होटल से निकलने के बाद उन्हें सात दिन होम क्वारंटाइन भी होना होगा।

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नेपाल में फंसे 11 बरेली के नागरिक रेस्क्यू

- मोतिहारी प्रशासन ने बरेली प्रशासन से साझा की जानकारी

जासं, बरेली : गृहमंत्रालय से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए नेपाल के वीरगंज में स्थित भारतीय दूतावास की मदद से बरेली समेत कई जनपदों के प्रवासियों को रेस्क्यू किया गया। इसमें बरेली के 11 और पीलीभीत के नौ नागरिक शामिल है। नेपाल से निकालकर सबको रक्सौल पूर्वी चंपारण मोतिहारी में लाया गया था। उनकी स्क्रीनिग करवाई गई। अब उन्हें बरेली में लाया गया है। मोतिहारी प्रशासन ने सभी बरेली के नागरिकों की जानकारी बरेली प्रशासन से साझा की है। बरेली के हरदेव बहादुर, विक्रम कुमार, अनिल कुमार, गोदाराम, शिवम कुमार, शांतराम, रामेश्वर, सोहन, राम नरेश और मोहसिन अली को बरेली प्रशासन क्वारंटाइन करवा रहा। वहीं, पीलीभीत के नौ नागरिक जमना प्रसाद, नीलम, मोहित, हिना, हामिद अली, हजरा, हिलमाफ, मोनीश, मो. आरिफ को भी वापस लाया गया है।

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शासन के पत्र में रियायत दी थी कि मानसिक मंदित, बच्चा और गर्भवती महिलाओं को अलग रखा गया था लेकिन गरीबी कोई मानक नहीं है। विशेष परिस्थिति में ऐसा हो सकता है। शासन की अनुमति के बगैर हम लोगों का होटल का खर्च उठाए तो यह वित्तीय अनियमितता माना जाएगा। लेकिन सस्ते लॉज में रखा जा सकता है।

- महेंद्र कुमार सिंह, एडीएम सिटी


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