खोखले त्रिनेत्र एप से बदमाश तलाश रही पुलिस, पांच साल का डाटा ही अपडेट नहीं
पुलिस विभाग को एप के जरिए तकनीकी सुविधाओं से लैस कर दिया हो। मगर पुलिस अभी पुराने ढर्रे पर काम कर रही है।
अभिषेक पांडेय, बरेली : फास्ट पुलिसिंग और बदमाशों पर निगरानी के लिए शासन भले ही सख्त हो। पुलिस विभाग को एप के जरिए तकनीकी सुविधाओं से लैस कर दिया हो। मगर पुलिस अभी पुराने ढर्रे पर काम कर रही है। बदमाशों की निगरानी के लिए बनाया गया एप त्रिनेत्र को ही देख लें। बदमाश वारदात कर रहे हैं, सीसीटीवी में कैद भी हो रहे हैं, लेकिन पुलिस इन बदमाशों के फोटो त्रिनेत्र एप पर अपलोड नहीं कर रही है। बरेली पुलिस की यह लापरवाही तब उजागर हुई, जब जिले में वारदातों की बाढ़ आ गई। लापरवाही का आलम यह है कि बरेली पुलिस ने 2014 से 2019 तक पकड़ कर जेल भेजे गए बदमाशों की फोटो और डाटा ही इस एप नहीं लोड किया। मामले की भनक अधिकारियों को तब लगी जब सर्राफ कमल किशोर हत्याकांड के बाद फरार चल रहे बदमाशों के सीसीटीवी में कैद चेहरों को एप के जरिए मिलान की बात आई। पता चला कि एप में पिछले पांच साल से बदमाशों का रिकार्ड ही अपडेट नहीं है। तब एसएसपी ने जिले भर के थाना प्रभारियों को जल्द से जल्द सभी बदमाशों की फोटो समेत पूरा डाटा अपलोड करने के निर्देश जारी कर दिए। जिससे थानों में हड़कंप मच गया और सभी बदमाशों के रिकार्ड अपलोड किए जा रहे हैं।
थानों में बदमाशों का बनेगा एलबम
त्रिनेत्र एप पर बदमाशों का फोटो और प्रोफाइल अपलोड करने के साथ ही थानों में भी बदमाशों का एलबम बनेगा। जिसमें उनकी पूरी डिटेल रखने के आदेश भी एसएसपी ने दिए हैं। इन रजिस्टर में लूट, हत्या, छिनैती, टप्पेबाजी, डकैती, बाइक चोरी, चेन स्नैचिंग आदि करने वालों बदमाशों का पूरी डिटेल के साथ ब्योरा उपलब्ध रहेगा।
एक साल का ही डाटा अपलोड
जिम्मेदारों की माने तो त्रिनेत्र एप पिछले साल ही उन्हें दिया गया है। जिसमें रिकार्ड रखे जा रहे हैं। एक साल पहले के बदमाशों का डाटा अपलोड नहीं है। कुछ थानों में एक साल में जेल गए बदमाशों के भी डाटा अपलोड करने में लापरवाही की गई है। जिसके कारण एप में पूरा रिकार्ड नहीं है।
प्रमुख घटनाएं
-सर्राफ कमल किशोर की हत्या, सीसीटीवी में बदमाश कैद पहचान नहीं
-शहर में कई चेन स्नैचिंग करने वाले बदमाश सीसीटीवी में कैद पहचान नहीं
-दर्जनों बाइक चोर की फुटेज सीसीटीवी में कैद लेकिन पहचान नहीं
-हर्षित गुप्ता मर्डर केस हत्यारा सीसीटीवी में कैद पहचान नहीं
क्या बोले पुलिस अधिकारी
डाटा में एक साल का रिकार्ड है। जबकि उसमें पुराने रिकार्ड भी होने चाहिए। सभी थानों को निर्देश दिए गए हैं कि पांच साल का पूरा रिकार्ड डाले। जिसने अपडेट नहीं किया उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
-शैलेश पाण्डेय, एसएसपी