जिस मैदान ने बनाई जिंदगी उसी पर मिली मौत
हॉकी खिलाड़ी विनोद की मौत की खबर जिसे भी लगी, वह सन्न रह गया। आखिरकार 22 साल की उम्र में ट्रैक पर उनकी मौत हो जाना सबको चौकाने वाला था।
जागरण संवाददाता, बरेली : हॉकी का मैदान विनोद के लिए खास था, यहीं से उन्हें पहचान मिली। यहीं से जिंदगी का पड़ाव तय किया, खेल करियर बना। दस साल हो गए, मैदान पर वह रोजाना घंटों पसीना बहाते थे। उसी जगह उनकी जिंदगी खत्म हो गई। विनोद के साथी खिलाड़ियों का कहना था कि वह खेल मैदान-टै्रक को ही जिंदगी मानते थे। मैदान में उतरने से पहले माथा टेकते थे। अब वह मैदान पर कभी नहीं दिख सकेंगे। उनके साथ न होने का मलाल अब उनके दोस्तों को हमेशा होगा।
साथी की मौत पर घर से पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचे खिलाड़ी
फिटनेस पर ध्यान देने वाला 22 साल का नौजवान। जो रोजाना लंबी दौड़ लगाता, मैदान पर कभी जिसके चेहरे पर थकान नहीं दिखी, उसकी अचानक मौत की खबर सुनकर हर कोई चौक गया। स्टेडियम से लेकर घर और पोस्टमार्टम हाउस पर तमाम साथी खिलाड़ी शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंचे।
खेल टीचर बनने के लिए बीपीएड की थी तैयारी
दोस्तों ने बताया कि विनोद इंटर कर चुके थे। उनका खेल टीचर फिर कोच बनने का सपना था। इसके लिए वह बीपीएड की तैयारी कर रहे थे।
पढ़ रहे हैं बड़े भाई
विनोद तीन भाइयों में छोटे थे। बड़े भाई दिलीप व बलवंत अभी पढ़ रहे हैं। विनोद घर संभालने के साथ आर्थिक मदद करते थे। उनकी मौत से मां गोविंदी देवी जवान बेटे की मौत पर बेसुध हो गई।
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मैं मीटिंग के सिलसिले में बाहर हूं। घटना की सूचना मिली है। यह दुखद समाचार है। जानकारी ली है, वो हमारे यहां कभी-कभार अभ्यास के लिए आ जाते थे।
-मिथलेश राणा, साई स्टेडियम प्रभारी