Pilibhit Tiger Reserve : अफसरों ने जंगलों में शुरु कराई कांबिंग, सप्ताह भर पुराना निकला बाघ का शव
टाइगर रिजर्व बनने के बाद से जंगल में बाघों की संख्या बढ़ने को जहां शुभ संकेत माना जा रहा वहीं बाघ की मौत पर वन्यजीव प्रेमियों के साथ ही पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन की भी चिंता बढ़ गई है।
पीलीभीत, जेएनएन। टाइगर रिजर्व बनने के बाद से जंगल में बाघों की संख्या बढ़ने को जहां शुभ संकेत माना जा रहा, वहीं बाघ की मौत पर वन्यजीव प्रेमियों के साथ ही पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन की भी चिंता बढ़ गई है। हरदोई ब्रांच नहर में बाघ का शव मिलने के बाद पीटीआर के जंगल में कांबिंग कराई जा रही है। साथ ही वन कर्मियों की टीमें नहरों की पटरियों का भी निरीक्षण कर रही हैं। जिससे पता चल सके कि मरने वाला बाघ किस इलाके का था।
पिछले साल राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निर्देश पर हुई गणना में पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल में 65 से अधिक बाघों की पुष्टि हुई थी। इससे पहले की गणना में 52 बाघ बताए गए थे। यहां बाघों की संख्या बढ़ने के पीछे जंगल में भरपूर, पानी, बाघ के भोजन के लिए काफी अधिक संख्या में तृणभोजी वन्यजीव और छिपने के पर्याप्त स्थान प्रमुख कारण माने गए।
टाइगर रिजर्व बनने से पहले यहां जंगल में बाघों की संख्या पचास से कम रही है। एक समय तो संख्या घटकर सिर्फ 39 बाघ रह गए थे। ऐसे में बाघों की संख्या बढ़ने पर पीटीआर प्रशासन के अधिकारियों से लेकर वन्यजीव प्रेमी तक सभी इसे अच्छा संकेत मान रहे लेकिन टाइगर रिजर्व बनने के बाद से लेकर अब तक आठ बाघ और तीन शावकों की मौत हो चुकी है। इससे यह स्पष्ट है कि बाघों की सुरक्षा में कहीं न कहीं अभी कोई कमी है।
बहरहाल पीटीआर प्रशासन अब इस बात की जांच करने में जुट गया है कि नहर में मिला बाघ किस इलाके का है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शव एक सप्ताह पुराना होने की बात स्पष्ट की गई है। ऐसे में अधिकारियों को यह संभावना भी लग रही है कि शायद इस बाघ का शव उत्तराखंड से बहकर आया हो। हालांकि अभी इस बाबत अधिकारी कुछ भी स्पष्ट बता पाने की स्थिति में नहीं हैं।
जंगल और नहरों की पटरियों पर कांबिंग कराई जा रही है। किसी वाहन की टक्कर लगने के बाद बाघ के पानी में गिरकर मौत हो जाने के बिंदु पर भी जांच चल रही है। शव पानी के साथ बहकर उत्तराखंड से भी आ सकता है। सबसे पहले तो यह पता लगाने का प्रयास हो रहा है कि बाघ कहां का था। जल्द ही जांच से यह स्पष्ट हो जाएगा। इस घटना के बाद जंगल में गश्त के साथ ही बाघों की गतिविधियों पर मॉनीटरिंग बढ़ाई जाएगी।नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, पीटीआर