क्वालिटी इंजीनियर की नौकरी छोड़कर गांव लौटने का किया फैसला, प्रधान बनकर बदल दी गांव की तस्वीर
पढ़े लिखे प्रधानों के हाथाें में गांव तरक्की की राह पर सरपट दौड़ रहे है। ताजा नजीर फतेहगंज पूर्वी का कमनपुर गांव है। शिक्षा स्वास्थ्य आधारभूत संरचना और बुनियादी जरूरतों के मुद्दों पर पिछड़े गांव की तस्वीर बदल चुकी है। खड़जों की जगह सीसी रोड बन चुकी हैं।
बरेली, जेएनएन। पढ़े लिखे प्रधानों के हाथाें में गांव तरक्की की राह पर सरपट दौड़ रहे है। ताजा नजीर फतेहगंज पूर्वी का कमनपुर गांव है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और बुनियादी जरूरतों के मुद्दों पर पिछड़े गांव की तस्वीर बदल चुकी है। खड़जों की जगह सीसी रोड बन चुकी हैं। साफ पानी लोगों को मिल पा रहा है। मॉडल स्कूल की तर्ज पर गांव का सरकारी स्कूल दूर दराज तक बच्चों के लिए शिक्षा की ज्योति जगा रहा है।
इस गांव की बदहाली खत्म करने के पीछे ग्राम प्रधान अमित प्रताप सिंह के प्रयास है। जून 2015 में फ्यूचर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट से बीटेक की पढ़ाई के दौरान उनकी नौकरी माइक्रोमैक्स कंपनी में बतौर क्वालिटी इंजीनियर लगी। नौकरी करने के लिए वह गए जरूर, लेकिन परिवार के लोगों की इच्छा यही रही कि गांव की बेहतरी के लिए काम किए जाए। उन्होंने नौकरी छोड़कर बरेली वापस आए। कमनपुर से ग्राम प्रधानी का चुनाव जीता। पढ़े लिखे थे, इसलिए गांव की जरूरतों को समझते हुए विकास कराया। गांव की बदहाल सड़कें, शिक्षा का स्तर का अच्छा न होना और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर उनकी चिंता बनी रही। कमनपुर गांव में सभी सड़कें सीसी करवा दी। साफ पानी के लिए पानी के टैंक बनवाए। लोगों को जागरूक भी किया। प्राथमिक विद्यालय में सुंदरीकरण, इंटरलॉकिंग और टाइलीकरण करवाकर बाउंड्री बनवाई। हैंडवाश भी बनवाए। पंचायतघर का निर्माण कराया। अमित कहते है कि गांव की बेहतरी के उनके प्रयास आगे भी जारी रहेंगे। लोगों का भी कहना है कि राजनीति में अगर पढ़े लिखे लोग आएंगे तो विकास भी उसी तेजी से होगा।