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कोरोना से जंग जीत चुके लोग फिर अस्पताल में हो रही भर्ती, जानिये क्या है वजह

Post covid patients getting Pulmonary fibrosis कोरोना संक्रमण से निजात पा चुके लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही है। कोविड से निजात पा चुके लोग घर जाने के बाद अब वापस अस्पताल आ रहे हैं। इन मरीजों में सबसे कामन परेशानी पल्मोनरी फाइब्रोसिस की है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 11:40 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 11:40 AM (IST)
कोरोना से जंग जीत चुके लोग फिर अस्पताल में हो रही भर्ती, जानिये क्या है वजह
शरीर में आने के बाद कोरोना संक्रमण की वजह से फेफड़ों पर बनी झिल्ली की वजह से होती परेशानी।

बरेली, [अंकित गुप्ता]। Post covid patients getting Pulmonary fibrosis : कोरोना संक्रमण से निजात पा चुके लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही है। जिले में अब मात्र 145 ही कोविड के सक्रीय मरीज बचे हैं, इनमें से मात्र 12 मरीज ही अस्पतालों में भर्ती हैं। लेकिन कोविड से निजात पा चुके लोग घर जाने के बाद अब वापस अस्पताल आ रहे हैं। इन मरीजों में सबसे कामन परेशानी पल्मोनरी फाइब्रोसिस की है। अस्पतालों के आइसीयू में भी सबसे अधिक पोस्ट कोविड पल्मोनरी फाइब्रोसिस वाले मरीज ही भर्ती हैं।

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एसआरएमएस मेडिकल कालेज के पल्मोनरी विभाग के एचओडी डा. ललित सिंह ने बताया कि कोविड संक्रमण की वजह से फेफड़ों के छोटे छोटे हिस्से को काफी नुकसान पहुंचा देता है। फेफड़ों के इन हिस्सों पर हुए घाव के भरने के बाद सूजन बनी रहती है। इससे फेफड़े के नीचे वाले हिस्से में झिल्ली या कहें मधुमख्खी के छत्ते की तरह बन जाता है। यह सिटी स्कैन में साफ दिखता है। इसकी वजह से ऑक्सीजन और कार्बनडाई आक्साइड का संचालन कम हो जाता है।

जिससे फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है। इसके चलते ही व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी महसूस होती है। कई बार यह दिक्कत इतनी बढ़ जाती है कि मरीज को आक्सीजन पर लेना पड़ता है। बताया कि पोस्ट कोविड फाइब्रोसिस के मरीजों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। यह सिर्फ बरेली में ही नहीं देश भर के मेडिकल कालेज और अस्पतालों के आइसीयू में भर्ती होने वाले मरीज इसी परेशानी से जूझ रहे हैं।

पल्मोनरी फाइब्रोसिस के प्रमुख लक्षण : डा. ललित सिंह ने बताया कि पल्मोनरी फाइब्रोसिस के प्रमुख लक्षणों में सांस लेने में परेशानी, बहुत अधिक थकान महसूस होना, सूखी खांसी, कुछ दूर चलने पर सांस फूल जाना शामिल हैं। इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। अगर समय रहते ठीक नहीं किया गया तो जीवनभर का रोग बन सकता है।

बुजुर्गों को अधिक खतरा : डा. ललित सिंह ने बताया कि पल्मोनरी फाइब्रोसिस की दिक्कत मोटापा, फेफड़ों से संबंधित बीमारी, डायबिटीज आदि के मरीजों में ज्यादा होती है। यह समस्या 60 से अधिक उम्र वाले मरीजों में भी आ रही है। इसके अलावा लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रह चुके लोगों को भी इसका खतरा होता है। पोस्ट कोविड युवा भी इसके शिकार हो सकते हैं।

यह है इलाज : डा. ललित ने बताया कि इसके इलाज में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका स्टेरायड की है। लगातार चार से छह सप्ताह तक मरीज को स्टेरायड देना पड़ता है। इसके अलावा ब्रीथिंग एक्सरसाइज, एंटी फाइब्रोटिक दवाओं से इसका इलाज संभव है। इसकी दिक्कत या परेशानी समझने के लिए सिटी स्कैन कराना पड़ता है।


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