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CAA 2019 : इस सन से पहले भारत आने वाले लोगो को मिलेगा नागरिकता कानून का लाभ Bareilly News

इसका लाभ केवल 31 दिसंबर 2014 से पहले अफगानिस्तान पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए ऐसे हिंदू सिख बौद्ध जैन पारसी व ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को मिलेगा ।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 09:39 AM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 05:48 PM (IST)
CAA 2019 : इस सन से पहले भारत आने वाले लोगो को मिलेगा नागरिकता कानून का लाभ Bareilly News
CAA 2019 : इस सन से पहले भारत आने वाले लोगो को मिलेगा नागरिकता कानून का लाभ Bareilly News

जेएनएन, बरेली : नागरिकता संशोधन कानून, जिसे लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ। प्रदेश के कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। दरअसल, यह कोई नया कानून नहीं है। नागरिकता कानून वर्ष 1955 में बना था। केंद्र सरकार ने बस इसके कुछ प्रावधानों में बदलाव किया है। फिलहाल यह अभी किसी राज्य में लागू भी नहीं हुआ है। और हां, इस कानून से भारत के किसी भी नागरिक पर कोई भी प्रभाव नहीं होगा।

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इसका लाभ केवल 31 दिसंबर 2014 से पहले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए ऐसे हिंदू , सिख, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को मिलेगा, जो कम से कम पांच सालों से भारत में रह रहे हों। पहले वर्ष 2009 में 11 साल तक भारत में रहने वालों को लाभ देने का प्रावधान था। जिसे सरकार ने घटाया है। ये बातें रिटायर्ड एडीजे तेजपाल सिंह राणा ने कही। वह सोमवार को नागरिकता कानून के विरोध का क्या औचित्य विषय पर आयोजित जागरण विमर्श कार्यक्रम में बोल रहे थे।

भारत आने की तारीख से मिलेगी नागरिकता : रिटायर्ड एडीजे ने बताया कि अब केंद्र सरकार या उनकी ओर से निर्धारित प्राधिकरण से संपर्क कर शरणार्थियों को नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा। उन्हें साक्ष्य उपलब्ध कराने होंगे कि वह कब से यहां रह रहे हैं। जिसके बाद उन्हें संबंधित अथॉरिटी से सर्टिफिकेट दिया जाएगा। जिससे उन्हें नागरिकता मिल सकेगी। जो उनके भारत आने की तारीख से मान्य होगी न कि सर्टिफिकेट जारी होने की तिथि से।

चार राज्यों में लागू नहीं होगा सीएए : उन्होंने बताया कि भारत के पूवरेत्तर के चार राज्यों में यह कानून लागू नहीं होगा। इनमें त्रिपुरा, असोम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश शामिल है।

विपक्षी दलों के बहकावे में हो रहा विरोध : रिटायर्ड एडीजे ने कहा कि पहली बात सीएए का भारत के किसी भी नागरिक पर कोई प्रभाव नहीं होगा। चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान। दूसरी बात, सीएए के अनुच्छेद तीन और पांच में दिए प्रावधान के अनुसार अगर कोई मुसलमान प्रवासी आवेदन करता है तो उसे भी नागरिकता मिल सकती है। बावजूद इसके कानून का विरोध होने के पीछे जागरूकता की कमी सबसे बड़ा कारण है। इस कानून को लेकर कुछ नेता राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। विपक्षी दलों के बहकावे में आकर लोग इसका विरोध कर रहे हैं।

जल्दबाजी में उठाया गया कदम : रिटायर्ड एडीजे ने बताया कि शायद इस कानून को लाने में सरकार ने थोड़ी जल्दबाजी दिखाई। यदि सरकार पहले छह महीने या साल भर आम लोगों को इसके बारे में जागरुक करती तो इतना विरोध नहीं होता।


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