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बच्चाे काे लेकर परेशान हुए बरेली के पीडियाट्र्रिक, बाेले- काेविड पाॅॅजिटिव रहे परिवाराें के बच्चाें में बढ़ रहा एमआइएस-सी, जानिए वजह

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान कई परिवारों के सभी लोग कोरोना पॉजिटिव थे। लेकिन उन परिवारों के बच्चे मामूली लक्षण के साथ बीमार हुए और ठीक हो गए उनकी जांच रिपोर्ट भी निगेटिव आई। ऐसे बच्चे अब मल्टी इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चाइल्ड (एमआइएस-सी) के शिकार हो रहे हैं।

By Ravi MishraEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 05:20 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 05:20 PM (IST)
बच्चाे काे लेकर परेशान हुए बरेली के पीडियाट्र्रिक, बाेले- काेविड पाॅॅजिटिव रहे परिवाराें के बच्चाें में बढ़ रहा एमआइएस-सी, जानिए वजह
बच्चाे काे लेकर परेशान हुए बरेली के पीडियाट्र्रिक, बाेले- काेविड पाॅॅजिटिव रहे परिवाराें के बच्चाें में बढ़ रहा एमआइएस-सी

बरेली, अंकित गुप्ता । : कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान कई परिवारों के सभी लोग कोरोना पॉजिटिव थे। लेकिन उन परिवारों के बच्चे मामूली लक्षण के साथ बीमार हुए और ठीक हो गए, उनकी जांच रिपोर्ट भी निगेटिव आई। ऐसे बच्चे अब मल्टी इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चाइल्ड (एमआइएस-सी) (बच्चों में कई प्रकार की बीमारियां) के शिकार हो रहे हैं। जबकि कुछ दिन पहले तक यह परेशानी सिर्फ कोविड से उबरे बच्चों में थी। एमआइएस-सी के बीमार बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए चिकित्सक भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

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जिले के पीडियाट्रिशियनों के पास पेट में दर्द, लूज मोशन, सांस लेने में परेशानी, गर्दन में दर्द, बार बार सो जाने जैसी दिक्कतों से परेशान दो-चार बच्चे प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। यह सभी लक्षण मल्टी इंफ्लेमेटरी इन चाइल्ड के हैं। संक्रामक रोग चैप्टर के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अतुल अग्रवाल ने बताया कि पूर्व में जो बच्चे जांच में निगेटिव आए और सामान्य उपचार के बाद ठीक हो गए। उनमें कोविड था, लेकिन पकड़ में नहीं आया। बच्चे अपनी इम्युनिटी के बूते ठीक हो गए।

लेकिन उस दौरान कोविड ने शरीर में जो नुकसान पहुंचाया, वह अब परेशानी बनकर सामने आ रहा है। जिले के पीडियाट्रिशियनों की आपसी चर्चा में यह बात सामने आई कि बीते कुछ दिनों से बच्चों में यह समस्या बढ़ती जा रही है। इसे लेकर चिकित्सक आपसी चर्चा और इसके इलाज को लेकर भी बात कर रहे हैं। कई बच्चे इन लक्षणों की शुरुआत में ही चिकित्सकों के पास पहुंच गए तो उन्हें सामान्य इलाज देकर ही ठीक कर दिया गया। लेकिन जो बच्चे देरी से पहुंचे उन्हें अस्पतालों में भर्ती करना पड़ा या हायर सेंटर भेजना पड़ा।

लखनऊ से मांगी जा रही रिपोर्ट

एमआइएस-सी की बढ़ती बीमारी को देखते हुए इसके केसों की रिपोर्टिंग की जा रही है। लखनऊ से डायरेक्टर जनरल मेडिकल एजूकेशन की ओर से इसकी जानकारी मांगी जा रही है। जिले के सभी मेडिकल कालेजों के द्वारा प्रति सप्ताह एमआइएस-सी से ग्रसित भर्ती होने वाले बच्चे और ठीक होने वाले बच्चों की रिपोर्ट बनाकर डायरेकटर जनरल मेडिकल एजूकेशन को भेजी जा रही है।

बच्चों में पोस्ट कोविड सिंड्रोम आना चिंता का विषय है। यह आने वाले दिनों में परेशानी का सबब बन सकता है। बाल रोग विशेषज्ञों के पास प्रतिदिन एमआइएस-सी से ग्रसित बच्चे पहुंच रहे हैं। डा. अतुल अग्रवाल, बाल रोग विशेषज्ञ व संक्रमण रोग चैप्टर के पूर्व अध्यक्ष

एमआइएस-सी से ग्रसित बच्चे लगातार आ रहे हैं और ठीक भी हो रहे हैं। जिन बच्चों में इसके लक्षण होते हैं उनका एंटी बॉडी टेस्ट भी कराया जा रहा है। एमआइएस-सी उन्हीं में है, जो पहले पॉजिटिव हुए या उनके परिवार के लोग पॉजिटिव रहे। ऐसे बच्चों का हार्ट का ईको जरूर कराना चाहिए। - डा. पीएल प्रसाद, पीडियाट्रिक इंचार्ज, एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज

बीते कुछ दिनों से एमआइएस-सी के काफी बच्चे आए हैं। उन बच्चों में तीन दिन से अधिक समय तक बुखार रहना, पेट में दर्द होना और लूज मोशन जैसी परेशानी जआई। जब उनके बारे में जानकारी की गई तो पता चला कि उनके परिवार के लोग पॉजिटिव रहे। - डा. राजेश अग्रवाल, बाल रोग विशेषज्ञ व पूर्व आइएमए अध्यक्ष

एमआईएस-सी के लक्षण

- तीन दिनों से अधिक समय तक बुखार आना

- पेट (आंत) में दर्द होना

- उल्टी, दस्त लग जाना

- गर्दन में दर्द होना

- चकत्ते पड़ने लगना

- आंखों, जीभ की लालपन आना

- हाथों और पैरों की त्वचा में सूजन और छिलने लगना

- अधिक दबाव या थका हुआ लगना

आपातकालीन चेतावनी के संकेत 

- गंभीर पेट दर्द

- सांस लेने में कठिनाई

- दिल का तेज धड़कना, या धड़कन महसूस होना

- पीली, सिलेटी या नीले रंग की त्वचा होने लगना

- होंठ या नाखून का पीला या नीला पड़ना

- भ्रम या असामान्य बात करना

- सोचने समझने में असमर्थता

- जागने में दिक्कत या बैठे बैठे नींद आ जाना


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