प्राचार्य की कुर्सी विवाद में खुल गया प्रश्नपत्र का पैकेट
गन्ना उत्पादक स्नातकोत्तर महाविद्यालय बहेड़ी में प्राचार्य की कुर्सी को लेकर उठे विवाद
By Edited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 01:22 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 11:56 AM (IST)
जेएनएन, बरेली : गन्ना उत्पादक स्नातकोत्तर महाविद्यालय बहेड़ी में प्राचार्य की कुर्सी को लेकर उठे विवाद में विद्यार्थियों के भविष्य को खतरे में डाल दिया। इस हद तक कि चार अप्रैल को प्रस्तावित परीक्षा का प्रश्नपत्र उससे पहले ही खुल गया। मामला एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय से लेकर डीएम तक पहुंचा तो कुर्सी की दौड़ में शामिल दो शिक्षक एकदूसरे को लपेटने का प्रयास करने लगे हैं। उधर, डीएम ने रिपोर्ट तलब कर ली है। महाविद्यालय में डीएम के निर्देश पर डॉ. शचींद्र मोहन शर्मा को प्राचार्य का चार्ज दिया गया था। जबकि स्वयं को कार्यवाहक प्राचार्य बताने वाले डॉ. एके पांडेय हाईकोर्ट से स्टे ले आए हैं। बस यही विवाद रुहेलखंड विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षाओं पर भारी पड़ रहा है। बताते हैं, एक दूसरे को फंसाने के चक्कर में प्रश्नपत्र के पैकेट की सील खुल गई। हालांकि, वरिष्ठ केंद्र व्यवस्थापक की जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ. शचींद्र ने सील खोली। उन्होंने इसकी जानकारी तुरंत विश्वविद्यालय को देने का दावा किया है। जबकि स्वयं को प्राचार्य बता डॉ. पांडेय ने केंद्र अध्यक्ष पर जांच का शिकंजा कस दिया है। यह लगा रहे आरोप --------------- 17 मार्च को पेपर कराने का आरोप डॉ. एके पांडेय ने आरोप लगाया कि बतौर वरिष्ठ केंद्र व्यवस्थापक डॉ. शचींद्र मोहन शर्मा ने चार अप्रैल को होने वाली बीए द्वितीय वर्ष कार्मिकी ¨हदी विषय की परीक्षा 17 मार्च को दूसरी पाली में संपन्न करा दी। जिससे परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है। मामले पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर तीन दिन में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। परीक्षा हटने की छिपाई सूचना वहीं, डॉ. शचीन्द्र ने पलटवार करते हुए कहा कि समय पूर्व परीक्षा नहीं कराई गई है। 17 मार्च को होने वाली परीक्षा विश्वविद्यालय प्रशासन ने हटाकर चार अप्रैल को संपन्न कराने की सूचना जारी की थी। कंप्यूटर ऑपरेटर ने डॉ. अखिलेश से मिली भगत कर परीक्षा हटने की जानकारी छिपा ली। 17 मार्च को नियमानुसार परीक्षा कराने के लिए प्रश्नपत्र के पैकेट की सील सभी की मौजूदगी में खोली। इसी बीच परीक्षा हटने की जानकारी हुई तो तुरंत सूचना विश्वविद्यालय को दी गई। डॉ. अखिलेश वर्तमान में प्राचार्य नहीं है। अब मैं कॉलेज का प्राचार्य हूं। ऐसे में डॉ. अखिलेश को जांच कमेटी बनाने का कोई अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने चार्ज सौंपने के दिए हैं निर्देश गौरतलब है, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश पर प्रबंधक को निर्देश दिए थे कि वह डॉ. शचीन्द्र मोहन शर्मा को वित्तीय अधिकार सौंपे। हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना पर चेतावनी दी थी। वर्जन मामला संज्ञान में आया है। अगर परीक्षाओं को लेकर किसी तरह की लापरवाही बरती गई है तो कार्रवाई होगी। उसके लिए उच्च क्षेत्रीय शिक्षाधिकारी से रिपोर्ट मांग रहे हैं। - वीरेंद्र कुमार सिंह, डीएम
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