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नदियों में घट रही ऑक्सीजन, खतरे में मछली रानी का जीवन

दीपेंद्र प्रताप सिंह, बरेली जल की रानी मछली के लिए पानी ही मौत का सबब बन गया है। इस हद तक कि वक्त

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 May 2018 11:25 AM (IST)Updated: Fri, 18 May 2018 11:25 AM (IST)
नदियों में घट रही ऑक्सीजन, खतरे में मछली रानी का जीवन

दीपेंद्र प्रताप सिंह, बरेली

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जल की रानी मछली के लिए पानी ही मौत का सबब बन गया है। इस हद तक कि वक्त रहते नहीं चेते तो कम से कम रुहेलखंड में पलने-पोसने वाली मछलियां सिर्फ किताबों में रह जाएंगी। यह सब हो रहा है नदियों के लगातार बिगड़ते हालात से। मंडल के चारों जिलों की करीब आधा दर्जन नदियों में ऑक्सीजन की मात्रा लगातार घट रही है। तेजी से बिगड़ रहे इन हालात के पीछे वजह है, फैक्ट्रियों और रिहायशी इलाकों से बिना ट्रीट हुए ही गिरने वाला प्रदूषित और दूषित पानी। शाहजहांपुर की गर्रा नदी की स्थिति सबसे खतरनाक स्तर पर है। कन्नौज स्थित गंगा नदी में मरने वाली मछलियों की वजह भी यही नदी बताई जा रही है।

बीओडी बढ़ रहा और घट रही ऑक्सीजन

गंगा में जो नदियां मिलती हैं, उनमें मंडल के जिलों से होकर जाने वाली आधा दर्जन हैं। इसमें रामगंगा, गर्रा, किच्छा नदी, ईस्ट बहगुल, देवहा नदी, अरिल, नकटिया, भाखड़ा नदी, गोमती बंजारा घाट प्रमुख हैं। अधिकांश में बायो केमिकल (जैव रसायन) ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) तेजी से बढ़ रहा है। वहीं पानी में मुक्त ऑक्सीजन की मात्रा जरूरी छह डीओ (डिजॉल्व ऑक्सीजन) से कम हो रही है। दोनों परिस्थितियों में मछलियों का मरना तय है। जानवरों और फसलों पर भी असर

आमतौर पर तेजी से दूषित नदियों का पानी सीधे तौर पर इंसान उपयोग नहीं करता है। हां, फसलों से होते हुए नुकसान जरूर पहुंचा सकता है। कारण, दूषित पानी में मौजूद हैवी मैटल से खेती करने पर उपज ज्यादा होती है लेकिन जमीन धीरे-धीरे बंजर होती जाती है। इसके अलावा पानी में मौजूद क्रोमियम, जिंक जैसे तत्व इंसान में कैंसर समेत तमाम बीमारियां देते हैं।

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सीपीसीबी ने गर्रा नदी का लिया सैंपल

उधर केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) कन्नौज में हजारों की तादाद में मछलियों की मौत मामले में गुरुवार को जांच के लिए शाहजहांपुर पहुंची। साथ में उप्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की स्थानीय टीम भी थी। यहां गर्रा नदी से पानी के सैंपल लिए। इसके अलावा शीरा नाले में गिरने वाली जगह की भी सैंपलिंग हुई। माना जा रहा है कि गंगा में गिरने वाली गर्रा व अन्य नदियों का केमिकल युक्त प्रदूषित पानी मछलियों के मरने का बड़ा कारण है। नदी रंग(हैजन) डीओ टीडीएस पीएच

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रामगंगा 30 8.8 295 7.6

गर्रा 80 3.3 242 6.8

किच्छा 40 6.8 293 7.4

ईस्ट बहगुल रंगहीन 8.4 151 7.4

देवहा रंगहीन 5.7 317 7.4

नकटिया 90 4.5 391 7.8

चौबारी 80 3.1 790 7.6

वर्जन :

कन्नौज की गंगा में हुई मछलियों की मौत के मामले में गर्रा नदी का सैंपल लिया है। रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कह पाना संभव होगा। पानी में ऑक्सीजन समेत अन्य तत्वों की मात्रा का अन्य रिकॉर्ड भी चेक किया जाएगा। रुहेलखंड की अन्य नदियों के हालात भी अच्छे नहीं हैं।

- आरबी ¨सह, विशेषज्ञ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली मछलियों के जीने के लिए पानी में छह प्वाइंट ऑक्सीजन अच्छा होता है। इसके नीचे मछलियां और अन्य जलीय जीव मरने लगते हैं। कई नदियों का सैंपल रिपोर्ट में यह मात्रा कम पाई गई है। स्थिति खतरनाक हो रही है। हम निगाह बनाए हुए हैं।

- अनिल चौधरी, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड -------- क्या होता है बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमाड

बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमाड (बीओडी, जिसे बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमाड भी कहा जाता है) एक विशिष्ट समय अवधि पर किसी निश्चित तापमान पर दिए गए पानी के नमूने में कार्बनिक पदाथरें को तोड़ने के लिए एरोबिक जैविक जीवों द्वारा आवश्यक भंग ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है (यानी माग की जाती है)। इसके बढ़ने घटने पर मछलियों की मौत होने लगती है।


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