बाघिन के आगे विशेषज्ञों की योजनाएं फेल
फतेहगंज पश्चिमी की बंद रबर फैक्ट्री में घूम रही बाघिन 105 दिनों के बाद भी पकड़ से दूर है। गुरुवार को पूरी रात विशेषज्ञों की टीम तलाशती रही मगर बाघिन नहीं दिखी। यहां तक कि वहां लगे 26 सेंसर कैमरों में भी उसकी तस्वीर नहीं आई। बारिश के कारण कच्चे रास्तों पर रेकी करने में भी टीम को मुश्किलें आ रहीं।
बरेली, जेएनएन : फतेहगंज पश्चिमी की बंद रबर फैक्ट्री में घूम रही बाघिन 105 दिनों के बाद भी पकड़ से दूर है। गुरुवार को पूरी रात विशेषज्ञों की टीम तलाशती रही मगर बाघिन नहीं दिखी। यहां तक कि वहां लगे 26 सेंसर कैमरों में भी उसकी तस्वीर नहीं आई। बारिश के कारण कच्चे रास्तों पर रेकी करने में भी टीम को मुश्किलें आ रहीं।
रबर फैक्ट्री में ऑपरेशन टाइगर मुख्य वन संरक्षक ललित कुमार के नेतृत्व में हो रहा है। जिसमें वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआइआइ) के चार विशेषज्ञ डॉ. आयुष, डॉ. सनत मुलिया, सर्वेश राय, वन्यजीव विशेषज्ञ डा. आरके सिंह, दुधवा नेशनल पार्क के डा. दुष्यंत सिंह समेत 93 लोगों की टीम लगी हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि शुक्रवार को उमस होने के कारण बाघिन कहीं ठंडे स्थान में जाकर बैठ गई है। उसने तीन दिन पहले शिकार किया था। ऐसे में उम्मीद है कि वह अब जंगल में घूम सकती है।
टीम आते ही बाघिन दिखनी बंद
ऑपरेशन टाइगर शुरू होने से पहले बाघिन रोजाना भ्रमण को निकला करती थी। जिसकी पुष्टि परिसर में लगे सेंसर कैमरे करते हैं। तीन दिन से टीम ने डेरा लगाया तब से बाघिन का कोई मूवमेंट नहीं दिख रहा। विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे कि संभव है कि मानवीय गंध आने के कारण बाघिन छिप गई हो। या फिर ठंडक की वजह से किसी जगह पर हो।
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उचित जगह पर दिखी तभी की जाएगी बेहोश
विशेषज्ञों का कहना है कि बाघिन उचित जगह पर दिखेगी, तभी ट्रांक्युलाइज की जा सकेगी। दरअसल, ट्रांक्युलाइज गन से निकली डार्ट लगने के बाघिन करीब पांच किमी तक बाघ सकती है। ऐसे में जरूरी है कि यह क्षेत्र सुरक्षित हो। आसपास तालाब होने पर उसे खतरा हो सकता है। परिसर में दो तालाब हैं।
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बरसात हो जाने से विशेषज्ञों को कुछ दिक्कत हो रही है। बाघिन पिछले 48 घंटे से कोई मूवमेंट नहीं कर रही है। विशेषज्ञ बाघिन को पकड़ने के लिए लगे हैं। शुक्रवार रात को भी सभी फैक्ट्री परिसर में ही रहेंगे।
- ललित कुमार वर्मा, मुख्य वन संरक्षक बरेली परिक्षेत्र