15 लाख खर्च, बाघिन अब भी बस्ती के पास
13 मार्च से फतेहगंज पश्चिमी की बंद रबर फैक्ट्री के जंगल में घूम रही बाघिन को अब विशेषज्ञ अब तक नहीं पकड़ सके हैं। जबकि यह जगह बस्ती के करीब है। फैक्ट्री के तीन किलोमीटर के दायरे में कई गांव हैं। इन सबके बीच वन विभाग 15 लाख रुपये भी खर्च कर चुका है। बावजूद इसके बाघिन अभी तक पकड़ी नहीं जा सकी।
बरेली, जेएनएन : 13 मार्च से फतेहगंज पश्चिमी की बंद रबर फैक्ट्री के जंगल में घूम रही बाघिन को अब विशेषज्ञ अब तक नहीं पकड़ सके हैं। जबकि यह जगह बस्ती के करीब है। फैक्ट्री के तीन किलोमीटर के दायरे में कई गांव हैं। इन सबके बीच वन विभाग 15 लाख रुपये भी खर्च कर चुका है। बावजूद इसके बाघिन अभी तक पकड़ी नहीं जा सकी। एक नजर ऑपरेशन टाइगर पर
- 13 मार्च को पहली बार रबर फैक्ट्री में दिखी बाघिन
- 14 मार्च से अब तक हो रही निगरानी
- कानपुर, दुधवा, पीलीभीत, देहरादून, लखनऊ से अब तक 12 से अधिक लगाए गए हैं विशेषज्ञ
- अब तक 15 लाख रुपये हो चुके हैं खर्च
- कैमरा, ड्रोन, होटल, डीजल, कांबिग, पिजरा, ट्रेंक्युलाइज रूम, शिकार आदि के मद में हुआ खर्च दिन में शातिर बाघिन नहीं कर रही मूवमेंट
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने बताया कि फैक्ट्री परिसर में घूम रही बाघिन काफी शातिर है। जो कि रोजाना अपना मूवमेंट झाड़ियों के रास्ते अधिक बदल रही है। इसके अलावा लगभग पूरा मूवमेंट वह रात में ही कर रही है। दिन में बाघिन को अभी तक शायद ही किसी ने देखा हो। कैमरों में भी रात के ही फोटो मिल रहे हैं। कोरोना के चक्कर में लग गया अधिक समय
मुख्य वन संरक्षक ललित कुमार ने बताया कि ऑपरेशन टाइगर शुरुआत में ही लगभग पूरा होने वाला था, लेकिन उसी बीच कोरोना का संक्रमण फैलने के चलते सभी विशेषज्ञ वापस चले गए। जिससे कुछ दिनों के लिए ऑपरेशन रुका रहा। इस बीच हमने बाघिन के मूवमेंट पर नजर रखने के साथ ही उसे फैक्ट्री परिसर से बाहर न जाने देने में सफलता हासिल की। फैक्ट्री परिसर में 22 सेंसर कैमरा व 12 जीएसएम वायरलेस अलार्म कैमरा लगा हुआ है। बाघिन का बीच-बीच में कुछ दिन तक मूवमेंट नहीं मिल पाता है। ऐसे में 100 सेंसर कैमरे और मंगा लिए हैं। जो बरसात के कारण इंस्टाल नहीं हो पा रहे। गुरुवार को इन्हें इंस्टाल कर पूरे फैक्ट्री एरिया को कवर किया जाएगा। जिससे बाघिन के हर लोकेशन की जानकारी हो सकेगी। बाघिन के दिखते ही ऑपरेशन हो जाएगा पूरा
ऑपरेशन को पूरा करने के लिए अब केवल कानपुर जू के विशेषज्ञ डॉ. आरके सिंह रुके हैं। बातचीत के दौरान बताया कि तैयारियां पूरी है, केवल बाघिन के दिखते ही उसे पकड़ लिया जाएगा। उसे ट्रेंक्युलाइज करने के लिए बाघिन का सही जगह होना जरूरी है। क्योंकि फैक्ट्री में कई पानी भरे हुए तालाब व कई जगहों पर केमिकल पड़ा हुआ है। हमें बाघिन को सुरक्षित पकड़ना है, जिसके लिए कुछ समय लग रहा है।