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रोडवेज बसों के लिए हर माह डेढ़ लाख का सैनिटाइजर तो खरीदा जा रहा पर सैनिटाइजेशन नहीं हो रहा

रोडवेज बसों में सैनिटाइजेशन के नाम पर जमकर खेल हो रहा है। यात्री धूल से सनी बसों में यात्रा करने से डर रहे हैं। अधिकारी भले ही हर चक्कर में बसों को सैनिटाइज करके ही चलाने का निर्देश दे रहे हों लेकिन वास्तविकता इससे कहीं जूदा है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 05:12 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 05:12 PM (IST)
रोडवेज बसों के लिए हर माह डेढ़ लाख का सैनिटाइजर तो खरीदा जा रहा पर सैनिटाइजेशन नहीं हो रहा
लिखा-पढ़ी में तो सैनिटाइजर बसों के लिए खरीदा जा रहा, लेकिन बसों को सैनिटाइज नहीं किया जा रहा है।

बरेली, जेएनएन। रोडवेज बसों में सैनिटाइजेशन के नाम पर जमकर खेल हो रहा है। यात्री धूल से सनी बसों में यात्रा करने से डर रहे हैं। अधिकारी भले ही हर चक्कर में बसों को सैनिटाइज करके ही चलाने का निर्देश दे रहे हों, लेकिन वास्तविकता इससे कहीं जूदा है। वर्कशॉप के लोगों ने आपदा को अवसर में बदलना शुरू कर दिया है। लिखा-पढ़ी में तो हर माह डेढ़ लाख का सैनिटाइजर बसों के लिए खरीदा जा रहा है, लेकिन इससे बसों को सैनिटाइज नाम मात्र का किया जा रहा है। यही नहीं बसों की धुलाई भी सही से नहीं हो पा रही है। जिसकी वजह से लोग डरकर सफर कर रहे हैं।

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कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए रोडवेज बसों को कोविड प्रोटोकाल के तहत चलाने के निर्देश दिए गए हैं। जिसमें सैनिटाइजेशन मुख्य है। यात्रियों के लिए मास्क अनिवार्य है। डिस्पेंसर के जरिए यात्रियों को सैनिटाइज किया जाना है, लेकिन मंडल मुख्यालय पर इसकी रश्म अदायमी हो रही है। आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि रोजवेज में कुछ गड़बड़ है। आरोप है कि बसों के सैनिटाइजेशन की रकम अधिकारी और कर्मचारी डकार जा रहे हैं।

सुबह आठ बजे से पहले और रात आठ बजे के बाद जो बस डिपो से किसी भी मार्ग के लिए रवाना होती है उनको सैनिटाइज नहीं किया जा रहा है। जबकि मुख्यालय से स्पष्ट निर्देश हैं कि बसों को डिपो से रवाना करने से पहले उसको सैनिटाइज किया जाए। ताकि बसों से कोरोना संक्रमण को खतरा कम हो सके।

रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी ने बताया कि बसों की रवानगी से पहले सैनिटाइजेशन के लिए अलग व्यक्ति की व्यवस्था है। हर माह इस मद में डेढ़ लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। चार स्तर पर सैनिटाइजेशन हो रहा है। स्टाफ, यात्री, डिस्पेंसर यूनिट और कार्यशाला में सैनिटाइजर का प्रबंध हैं। रीजन में कुल 669 बसें हैं।

रोडवेज कर्मचारियों के वेतन की नहीं होगी कटौती : रोडवेज के संविदा कर्मियों को मुख्यालय से समानुपातिक पारिश्रमिक भुगतान किए जाने के निर्देश सभी रीजन को दिए गए हैं। जिससे उन्हें मई माह का वेतन मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इस बार उन्हें किलोमीटर के मुताबिक औसतन वेतन दिया जाएगा।कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कोरोना लॉकडाउन प्रदेश में लगाया गया था। जिसके चलते कम संख्या में सवारियां निकली, जिससे अधिकांश बसों को वर्कशॉप पर ही खड़ा रखा गया। केवल एक चौथाई बसें ही सड़कों पर चली।

बसें न चलने से संविदा कर्मी पेमेंट को लेकर परेशान थे। दरअसल उन्हें किलोमीटर के मुताबिक भुगतान किया जाता है। इसके अलावा सवारियों की कमी के चलते 50 प्रतिशत लोड फैक्टर पूरा न होने से परेशान संविदा चालक परिचालकों को वेतन कटौती का भी डर था। वेतन की मांग को लेकर बीते दिनों ज्ञापन भी क्षेत्रीय प्रबंधक को यूनियन के माध्यम से दिया गया था। क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी ने बताया कि सभी 1900 से अधिक संविदा कर्मियों को प्रोरेटा के आधार पर मई माह का औसत वेतन दिया जाएगा।


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