सरकार कह रही चुनाव ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत कोरोना से हुई, शिक्षक संघ 1621 का आंकड़ा बता रहे
चुनावी ड्यूटी के दौरान ही कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश में 1621 शिक्षक शिक्षामित्र और अनुदेशकों की मौत हुई है ऐसा शिक्षक संगठनों का कहना है। जबकि सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि पूरे प्रदेश में ऐसे सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत हुई है। यह विडंबना है या सरकारी खेल।
बरेली, जेएनएन। चुनावी ड्यूटी के दौरान ही कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश में 1621 शिक्षक, शिक्षामित्र और अनुदेशकों की मौत हुई है ऐसा शिक्षक संगठनों का कहना है। जबकि सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि पूरे प्रदेश में ऐसे सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत हुई है। यह विडंबना है या यह सरकारी खेल है। इसको तो समझना ही मुश्किल है, क्योंकि चुनाव ड्यूटी में हजारों शिक्षक, शिक्षामित्र और अनुदेशक डटे रहे।
लेकिन, शिक्षा विभाग से क्या पूरे प्रदेश में सिर्फ तीन ही मौतें हुई हैं, इसे समझ पाना मुश्किल हो रहा है। हम आपको बरेली के शिक्षकों का हाल बताते हैं जो कि कोरोना से संक्रमित होकर इस दुनिया से चले गए। कोई महिला तीन दिन का बच्चा छोड़ गई तो कोई पिता अपने छोटे-छोटे बच्चों को बिलखता छोड़ गया। आइए हम शिक्षक संगठनों की जुबानी आपको शिक्षकों के परिवारों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने कोरोना के चलते अपनों को खोया है। उनके पास पूरा प्रमाण है कि चुनाव ड्यूटी से आने के बाद वह किस तरह बीमार हुए और उनको कैसे-कैसे इलाज मिला और वह इस दुनिया को अलविदा कह गए।
क्या कहते हैं शिक्षक नेता : प्राथमिक शिक्षा संघ के जिलाध्यक्ष नरेश गंगवार ने बताया कि किस आधार पर सरकार चुनाव के दौरान मरने वाले सिर्फ तीन ही शिक्षकों को गिनती में शामिल कर रही है इसका जवाब दे। जिन शिक्षकों ने चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर अपनी जान गवाई है, उसका प्रमाण हमारे साथ ही उनके परिवार वालों पर भी है। अगर सरकार मृतक शिक्षकों के साथ में नाइंसाफी करते हैं या हमारी मांगे पूरी नहीं करती है तो शिक्षक संगठन आंदोलन के लिए मजबूर होगा।
पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राजेंद्र गंगवार ने बताया कि अगर सरकार ने मृतक शिक्षकों को इंसाफ ना दिया तो शिक्षक संगठन सड़कों पर आकर प्रदर्शन करेगा। जिन शिक्षकों ने चुनावी ड्यूटी के दौरान दुनिया को अलविदा कहा उसका प्रमाण है। शिक्षकों को इंसाफ मिलने तक शिक्षक संगठन चुप नहीं बैठेगा।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ मंडलीय मंत्री डॉ रणविजय ने बताया कि मृतक शिक्षकों को अनुग्रह राशि और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी जब तक नहीं मिल जाती, तब तक शिक्षक संगठन मौन नहीं बैठेगा। हर दिन मृतक शिक्षकों के हक में आवाज बुलंद होगी।
क्या कहते हैं स्वजन : मृतक शिक्षका के पति राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि सहायक अध्यापिका शिखा श्रीवास्तव को गर्भवती होने के बावजूद चुनावी ड्यूटी के प्रशिक्षण में बुलाया गया, आखिर क्यों। यही वजह रही कि प्रशिक्षण के दौरान मेरी पत्नी संक्रमित हुई और तीन दिन के बच्चे को जन्म देकर दुनिया को अलविदा कह गई।
मृतक शिक्षक के पुत्र अखिल कुमार सिंह ने बताया कि चुनाव में ड्यूटी लगाने से पहले सरकार को कम से कम हर शिक्षक को टीकाकरण कराना चाहिए था। लेकिन हर चीज को ताक पर रखकर उन्होंने मेरे पिता को ड्यूटी में लगाए रखा, जहां संक्रमित होकर उन्होंने दुनिया ही छोड़ दी।
जिले में इन शिक्षकों की संक्रमण से हुई मौत
कंचन कनौजिया
नीतू सिंह
मीनू कौशल
शिखा श्रीवास्तव
पुष्पा सक्सेना
हरिओम सिंह
अनुज कुमार
अनिल सिंह
सोमपाल गंगवार
कोमल अरोड़ा
फरहा रईस
चंद्र पाल गंगवार
मोहित सिंह
महेंद्र पाल सागर
मोहम्मद अलीम
चंद्रपाल
मुकेश शुक्ला
विजय कुमार सिंह
राकेश चंद्र शर्मा
यासमीन सिद्दीकी
श्वेता शर्मा
प्रीति गोस्वामी
जलीस अहमद
भगवती चौहान
अजीत कुमार यादव
रितु द्विवेदी
सत्यपाल सिंह
ऋतुराज गर्ग
अंजू गंगवार
सतीश चंद्र गंगवार
जफर अहमद
कविता सेठी
यामिनी सक्सेना