कोर्ट के आदेश पर पूर्व केंद्रीय गृहराज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को वापस मिले मोबाइल फोन
Chinmayanand got back the mobile phone पूर्व केंद्रीय गृहराज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद से रंगदारी मांगने के मामले में जांच के दौरान एसआइटी ने उनके व अधिवक्ता ओम सिंह के मोबाइल फोन जांच के लिए लिए थे। कोर्ट के आदेश पर दोनों के फोन शनिवार को वापस मिल गए।
बरेली, जेएनएन। Chinmayanand got back the mobile phone : पूर्व केंद्रीय गृहराज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद से रंगदारी मांगने के मामले में जांच के दौरान एसआइटी ने उनके व अधिवक्ता ओम सिंह के मोबाइल फोन जांच के लिए लिए थे। कोर्ट के आदेश पर दोनों के फोन शनिवार को वापस मिल गए। अगस्त 2019 में ओम सिंह की ओर से चौक कोतवाली में लॉ कालेज की छात्रा व तीन अन्य के खिलाफ स्वामी चिन्मयानंद से पांच करोड़ की रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज कराया गया था। उन्होंने चिन्मयानंद के मोबाइल फोन पर भेजे गए मैसेज का हवाला दिया था।
एसआइटी ने जांच के समय चिन्मयानंद के दोनों मोबाइल लिए तो उनमें से मैसेज डिलीट हो चुका था। हालांकि उन्होंने अपने अधिवक्ता ओम सिंह को यह मैसेज फारवर्ड कर दिया था। इसलिए ओम सिंह का माेबाइल भी जांच के लिए लिया गया था। यह मुकदमा अब समाप्त हो चुका है। ओम सिंह ने इस प्रकरण में सुनवाई करने वाली लखनऊ की एमपी एमएलए कोर्ट में अर्जी देकर मोबाइल वासप दिलाए जाने का प्रार्थना पत्र दिया था, जिस पर तीन अगस्त को आदेश हो गए थे। अधिवक्ता ओम सिंह ने बताया कि तीनों मोबाइल फोन चौक कोतवाली के मालखाने से वापस मिल गए हैं।
क्या था मामला : 24 अगस्त 2019 को लॉ कालेज की छात्रा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर वीडियो अपलोड किया था, जिसके बाद चिन्मयांनद के वकील ओम सिंह ने अज्ञात पर पांच करोड़ की रंगदारी मांगने का मुकदमा चौक कोतवाली में दर्ज कराया था। अगले दिन छात्रा के पिता ने चिन्मयानंद के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म के आरोप लगाते हुए तहरीर दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एसआइटी का गठन के आदेश दिए थे।
इसके बाद छात्रा की तहरीर पर चिन्मयानंद के खिलाफ दिल्ली में दुष्कर्म की जीरो एफआइआर दर्ज कराई थी। जबकि एसआइटी जांच के बाद छात्रा व उसके तीन दोस्तों के खिलाफ चिन्मयानंद से रंगदारी का मुकदमा भी दर्ज हुआ था। इस मामले में दोनों पक्षों को जेल जाना पड़ा था। हालांकि लखनऊ एमपी एमएलए कोर्ट में सुनवाई के दौरान कुछ माह पहले छात्रा के बयान से पलटने के बाद दोनों ही मुकदमे समाप्त हो गए।