Move to Jagran APP

बरेली में गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर दीवान सजाकर रागी जत्थों ने किया कीर्तन

Martyrdom day of Guru Arjun Dev सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में ही व्यतीत किया। अर्जुन देव को साहित्य से भी अगाध स्नेह था। वे संस्कृत और स्थानीय भाषाओं के प्रकांड पंडित थे। उन्होंने कई गुरुवाणी की रचनाएं कीं।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 09:42 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 09:42 AM (IST)
बरेली में गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर दीवान सजाकर रागी जत्थों ने किया कीर्तन
शहीदों के सरताज कहे जाने वाले वीर योद्धा श्रीगुरु अर्जुन देव का शहीदी दिवस गुरुद्वारों में धूमधाम से मनाया गया।

बरेली, जेएनएन। Martyrdom day of Guru Arjun Dev : सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में ही व्यतीत किया। अर्जुन देव को साहित्य से भी अगाध स्नेह था। वे संस्कृत और स्थानीय भाषाओं के प्रकांड पंडित थे। उन्होंने कई गुरुवाणी की रचनाएं कीं, जो आदिग्रंथ में संकलित हैं। इनकी रचनाओं को आज भी लोग गुनगुनाते हैं और गुरुद्वारे में कीर्तन किया जाता है।शहीदों के सरताज कहे जाने वाले वीर योद्धा श्रीगुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस सोमवार को गुरुद्वारों में धूमधाम से मनाया गया। गुरुद्वारों में दीवान सजाकर रागी जत्थों ने कीर्तन किया।

loksabha election banner

कोहडापीर गुरूद्वारा में ज्ञानी मेजर सिंह ने शहीदी दिवस पर प्रकाश डालते हुए मौजूद लोगों को बताया कि 1606 में आज ही के दिन मुगल बादशाह जहांगीर ने उनकी जघन्य तरीके से यातना देकर हत्या करवा दी थी। इसी कारण हर साल आज ही के दिन उनका शहीदी दिवस मनाया जाता है। वे सिखों के पांचवें गुरु थे। उन्होंने अपना जीवन धर्म और लोगों की सेवा में बलिदान कर दिया। वे दिन रात संगत और सेवा में लगे रहते थे। वे सभी धर्मों को एक समान दृष्टि से देखते थे। बता दें कि गुरु अर्जुन देव जी का जन्म 15 अप्रैल साल 1563 में हुआ था। वे गुरु रामदास और माता बीवी भानी के पुत्र थे। उनके पिता गुरु रामदास स्वयं सिखों के चौथे गुरु थे, जबकि उनके नाना गुरु अमरदास सिखों के तीसरे गुरु थे। गुरु अर्जुन देव जी का बचपन गुरु अमर दास की देखरेख में बीता था। उन्होंने ही अर्जुन देव जी को गुरमुखी की शिक्षा दी। साल 1579 में उनका विवाह माता गंगा जी के साथ हुआ था। दोनों का पुत्र हुआ जिनका नाम हरगोविंद सिंह था, जो बाद में सिखों के छठे गुरु बने। वहीं सोमवार को शहर के कई प्रमुख चौराहों पर शर्बत वितरण भी किया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.