अब ब्लड कैंसर लाइलाज नहीं, बोन मैरो ट्रांसप्लांट हुआ आसान
ब्लड कैंसर थैलेसीमिया बोन मैरो जैसी बीमारियों का इलाज अब कठिन नहीं रहा। क्योंकि देश में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की अब उच्चतम सुविधा उपलब्ध है। आइएमए बरेली के तत्वाधान में शनिवार को कैंसर से संबंधित बीमारियों पर परिचर्चा करते हुए बोन मैरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डा.सरिता कुमारी जायसवाल ने बताया कि यह भ्रम है कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट मुश्किल अत्यंत महंगा और सफल नहीं है। अब एचएलए टाइपिग आधी मैचिग पर भी ट्रांसप्लांट संभव है जबकि पहले इसका पूरा मैच करना आवश्यक था।
जागरण संवाददाता, बरेली: ब्लड कैंसर, थैलेसीमिया, बोन मैरो जैसी बीमारियों का इलाज अब कठिन नहीं रहा। क्योंकि देश में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की अब उच्चतम सुविधा उपलब्ध है। आइएमए बरेली के तत्वाधान में शनिवार को कैंसर से संबंधित बीमारियों पर परिचर्चा करते हुए बोन मैरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डा.सरिता कुमारी जायसवाल ने बताया कि यह भ्रम है कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट मुश्किल, अत्यंत महंगा और सफल नहीं है। अब एचएलए टाइपिग आधी मैचिग पर भी ट्रांसप्लांट संभव है, जबकि पहले इसका पूरा मैच करना आवश्यक था। ऐसे में अब यह जटिल प्रक्रिया नहीं रही। परिचर्चा में साइंटिफिक चेयरमैन डा. सुदीप सरन ने कहा कि आयरन की कमी पूरी करने के लिए महंगे फल जैसे कि सेव आदि खाना आवश्यक नहीं है। पालक, टमाटर, गाजर, चना, गुड़ इत्यादि में प्रचुर मात्रा में आयरन होता है। गर्भवती महिलाएं प्रारंभ से ही प्रचुर मात्रा में इसका सेवन कर सकती हैं। आइएमए, बरेली के अध्यक्ष डा. विमल कुमार भारद्वाज के अनुसार बिना परामर्श एवं चिकित्सा कर्मियों द्वारा गलत दवाओं का उपयोग बोन मैरो, डिप्रेशन का सबसे बड़ा कारण है। साथ ही फास्ट फूड व फूड अडल्ट्रेशन भी इसका एक बड़ा कारण है।
आयरन व फोलिक एसिड की कमी से गर्भवती महिलाएं एनीमिक
डा. महक अग्रवाल ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में आयरन एवं फोलिक एसिड की कमी एनीमिया का सबसे बड़ा कारण है। डा. निवेदिता ने बताया कि रक्त संबंधित बीमारियों में भी सही समय पर पहचान होना जरूरी है। डा. एमडी छाबड़िया, डा. आरके सिंह, डा. मनोज कुमार हिरानी, डा.अनूप आर्या, डा.गिरीश अग्रवाल, डा.अनीता अजय आदि मौजूद रहीं।