Jagran Special : आजकल रामकथा पढ़ रहा हूं इसमें श्रीराम को पीड़ितो का मसीहा बताया है Bareilly News
आइवीआरआइ के सेवानिवृत्त प्रधान वैज्ञानिक रमेश सोमवंशी और अमित कुमार जिन किताबों को पढ़ रहे है उनके प्रति उन्होंने अपना नजरिया कुछ इस प्रकार से व्यक्त किया।
जेएनएन, बरेली : अक्सर जिंदगी में ऐसा समय आता है जब करीबी आपको अकेला छोड़ देते हैं। ऐसे में आपका साथ दे या न दे लेकिन, अगर आपकी दोस्ती पुस्तकों से है तो वह जरूर देती हैं। पुस्तकें न केवल आपको अकेलेपन से बाहर निकालकर नई राह भी दिखाती हैं। आइवीआरआइ के सेवानिवृत्त प्रधान वैज्ञानिक रमेश सोमवंशी और अमित कुमार जिन किताबों को पढ़ रहे है, उनके प्रति उन्होंने अपना नजरिया कुछ इस प्रकार से व्यक्त किया।
आइवीआरआइ में प्रधान वैज्ञानिक पद से रिटायर हूं। मुङो स्तरीय साहित्यिक पुस्तकों को पढ़ने में बचपन से ही रुचि रही है। वैज्ञानिक, ऐतिहासिक और पौराणिक पुस्तकों को पढ़ने में विशेष आनंद प्राप्त होता है। मुंशी प्रेमचंद्र, नरेंद्र कोहली, आचार्य चतुरसेन आदि मेरे प्रिय लेखक हैं। मैंने हिंदी में विज्ञान लेखन, यात्रा वृतांत और वैज्ञानिक विषयों की दो दर्जन से अधिक पुस्तकें भी लिखी हैं।मुङो नरेंद्र कोहली की रामकथा और महासमर पुस्तकों को पढ़ना अच्छा लगता है। आजकल मैं रामकथा (अभ्युदय) का अध्ययन कर रहा हूं। इसमें अलग शैली में रामकथा का वर्णन है। नरेंद्र कोहली ने श्रीराम को पिछड़ों, दलितों, पीड़ितों का उद्धारक और मसीहा बताया है।- रमेश सोमवंशी, बरेली
हाईस्कूल का छात्र था, जब इतिहास को समझने के लिए मैंने पुस्तकों का सहारा लिया। अब पुस्तकों में मेरी विशेष रूचि उत्पन्न हो गई। अब मैं विभिन्न पुस्तकों का अध्ययन करता रहता हूं। इन दिनों मैं पांचाल का इतिहास पुस्तक का अध्ययन कर रहा हूं। यह पुस्तक डॉ. विजय कुमार सक्सेना ने लिखी है। इसमें मौलिक कृति के साथ-साथ अन्य ऐतिहासिक सूचनाओं और विशेषज्ञों के दृष्टिकोण को चिंतन में जोड़कर प्रस्तुत किया गया है। सतर्क निष्कर्षो के माध्यम से पांचाल कठेहर के एक वैज्ञानिक इतिहास की प्रस्तुति की गई है। गंगा यमुना की सह उर्वर भूमि भाग, जिसका पंचाल से रुहेलखंड तक इतिहास और तमाम प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से पंचाल को पेश किया गया है।- अमित कुमार, बरेली