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बरेली के 113 अस्पतालों में नहीं आग बुझाने के इंतजाम, नोटिस जारी

देश भर में आए दिन अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं होने के बावजूद बरेली के कई अस्पताल संचालकों ने सबक नहीं लिया है। दमकल विभाग ने हाल में जिले के अस्पतालों में आपातस्थिति में आग बुझाने की व्यवस्था का जायजा लिया। इसमें एक-दो नहीं बल्कि जिले के 113 अस्पतालों में इंतजाम या तो मिले ही नहीं जहां थे भी वो महज दिखावटी। किसी हादसे की स्थिति में आग बुझाने के इंतजाम नाकाफी थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 04:46 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 04:46 AM (IST)
बरेली के 113 अस्पतालों में नहीं आग बुझाने के इंतजाम, नोटिस जारी
बरेली के 113 अस्पतालों में नहीं आग बुझाने के इंतजाम, नोटिस जारी

जासं, बरेली: नियमों का तार-तार कर जिस तरह जिले में झोलाछापों की दुकान चल रही है, सरकारी कृपा पर उसी तेजी से मानकों की अनदेखी कर निजी अस्पतालों का संचालन हो रहा है। हाल ये हैं कि देश भर में आए दिन अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं होने के बावजूद बरेली के कई अस्पताल संचालकों ने सबक नहीं लिया है। दमकल विभाग ने हाल में जिले के अस्पतालों में आपातस्थिति में आग बुझाने की व्यवस्था का जायजा लिया। इसमें एक-दो नहीं, बल्कि जिले के 113 अस्पतालों में इंतजाम या तो मिले ही नहीं, जहां थे भी वो महज दिखावटी। किसी हादसे की स्थिति में आग बुझाने के इंतजाम नाकाफी थे। दमकल विभाग ने ऐसे अस्पतालों को नोटिस देने के साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी पत्र लिखकर मानकों की अनदेखी कर चल रहे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।

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लापरवाही बरतने वालों में ट्रामा लिखे अस्पताल भी शामिल

वैसे तो सबसे ज्यादा मानकों की अनदेखी शहर के बाहरी हिस्सों और गांव से सटे अस्पतालों में हो रही है, लेकिन ऐसा भी नहीं कि शहर के अंदर के अस्पतालों में सबकुछ ठीक है। बीसलपुर रोड, बदायूं रोड, नैनीताल रोड के कई अस्पतालों में लोगों की जान की परवाह किए बिना दर्जनों दुकानें चल रही हैं। यहां पर्याप्त संख्या में अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था तक नहीं है। खास बात कि खुद को ट्रामा सेंटर घोषित करने वाले अस्पतालों में भी फायर फाइटिग सिस्टम नाकाफी हैं।

अधिकांश को आपातकाल द्वार की शर्ते ही पता नहीं

शहर के अधिकांश अस्पतालों में जब जागरण संवाददाता ने आपातकाल निकासी के रास्ते के बारे में जानकारी ली तो इक्का-दुक्का लोग ही दूसरा गेट दिखा सके। अधिकांश को इस नियम के बारे में पता तक नहीं था। जब इनसे पूछा कि आग लगने की दशा में मरीज, तीमारदार या स्टाफ के निकलने के लिए दूसरा रास्ता कहां बना है? तो जवाब मिला कि यहां आग लगने जैसा कुछ नहीं है।

समय-समय पर स्टाफ की ट्रेनिग भी जरूरी

अग्निशमन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि किसी अस्पताल को एक बार फायर एनओसी मिलने के बाद बाद में बाद में कुछ नहीं करना होता। दरअसल, अस्पताल के स्टाफ को समय-समय पर अग्नि सुरक्षा की जानकारी के बारे में प्रशिक्षण भी दिलाया जाना चाहिए। खासकर अग्निशामक यंत्र का उपयोग करने की ट्रेनिग अधिकांश स्टाफ को जरूर होनी चाहिए।

नोटिस देने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी बना रहा सूची

दैनिक जागरण ने ट्रामा का ड्रामा सीरीज में एक-एक कर कई अस्पतालों की जानकारी सार्वजनिक की, जिनमें इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) नहीं लगा है। इनमें ऐसे अस्पताल भी थे, जो मानकों में छूट का फायदा उठाने के लिए दस्तावेजों में कम बेड का अस्पताल दिखा रहे थे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक अभियंता शशि बिदकर ने बताया कि ऐसे सभी अस्पतालों को नोटिस देकर जरूरी कार्रवाई की जाएगी, जो प्रदूषण रोकने के मानक पूरे नहीं कर रहे हैं।

वर्जन

जिले में 113 अस्पतालों में अग्निशमन की व्यवस्था नहीं थी। उन्हें नोटिस भिजवाया जा रहा है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग को भी मामले में उचित कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है।

- चंद्र मोहन शर्मा, मुख्य अग्निशमन अधिकारी


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