बरेली-सीतापुर हाईवे के बाइपास तक कभी ठेकेदार गया न एनएचएआइ के अफसर
चौंकाने वाली बात है जिस राजमार्ग का पिछले दस साल से निर्माण चल रहा है उसके दस किलोमीटर बाइपास केकरीब तक कोई गया ही नहीं।
बरेली, जेएनएन : चौंकाने वाली बात है, जिस राजमार्ग का पिछले दस साल से निर्माण चल रहा है, उसके दस किलोमीटर बाइपास के करीब तक कोई गया ही नहीं। ठेकेदार ने तो लापरवाही बरती ही, एनएचएआइ के अधिकारियों का रुख भी इस ओर सुस्त रहा। अब जब रेलवे की जमीन का पेच फंसा तो दिल्ली तक हल्ला मच गया। फिलहाल एनएचएआइ अफसरों ने रेलवे अधिकारियों से काम कराने की अनुमति मांगी है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) बरेली-सीतापुर राजमार्ग के 157 किलोमीटर लंबे हिस्से का चौड़ीकरण व सुदृढीकरण करवा रहा है। काम आगरा की राज कंस्ट्रक्शन कंपनी तीन अन्य कंपनियों के साथ ज्वाइंट वेंचर में कर रही। जुलाई में शुरू हुए काम ने तेजी पकड़ी तो बड़ी लापरवाही सामने आई। प्रोजेक्ट में शाहजहांपुर के रोजा में 10.5 किलोमीटर का बाइपास बनाने का प्रावधान है, लेकिन अब तक इस जगह कोई ठेकेदार नहीं पहुंचा। पुराने ठेकेदार ने वहां कोई काम नहीं किया। एनएचएआइ के अधिकारियों ने भी सुध नहीं ली। इतना ही नहीं, मौके पर रेलवे की जमीन होने की जानकारी भी किसी अधिकारी को नहीं थी। काम शुरू होने पर पता चला कि बीच में 300 मीटर जमीन रेलवे की है। जिस पर काम करने की रेलवे ने आपत्ति लगा दी। मामला एनएचएआइ के दिल्ली कार्यालय तक पहुंच गया। तब जाकर अधिकारियों ने रेलवे से जमीन लेने के प्रयास शुरू किए हैं। एनएचएआइ अधिकारियों के मुताबिक डीआरएम मुरादाबाद को पत्र भेजकर फिलहाल काम शुरू करने की अनुमित मांगी गई है, जिससे जनहित का काम प्रभावित न हो। दस साल पहले शुरू हुआ था निर्माण
बरेली-सीतापुर मार्ग के 157 किलोमीटर हिस्से के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण के लिए वर्ष 2010 में टेंडर हुए थे। पीपीपी मॉडल के तहत 2700 करोड़ रुपये खर्च होने थे। कार्य इरा इंफ्राटेक कंपनी को दिया गया। कंपनी पहले साल भर गायब रही। बाद में 70 फीसद काम कराया और खुद को दिवालिया घोषित कर दिया। एनएचएआइ ने अप्रैल 2019 में इरा पर एफआइआर दर्ज कराई। अक्टूबर 2019 में राज कंस्ट्रेक्शन कंपनी को ठेका मिला। इस बार बचा काम पूरा करने के लिए 767 करोड़ रुपये बजट मंजूर हुआ। कंपनी ने जुलाई 2020 में कंपनी ने काम शुरू किया था।