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शाहजहांपुर में बिना पढ़ाए वेतन पा रहे नव नियुक्त शिक्षक, पांच कक्षाओं के सापेक्ष दस शिक्षक तैनात

शहर की नजदीकी स्कूलो में छात्र संख्या अनुपाल में नियुक्ति से दस शिक्षकों की संख्या हो गई है जबकि कक्षा सिर्फ पांच है। दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में 50 से लेकर 400 बच्चों का भविष्य एक शिक्षक के सहारे है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 08:11 AM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 01:16 PM (IST)
शाहजहांपुर में बिना पढ़ाए वेतन पा रहे नव नियुक्त शिक्षक, पांच कक्षाओं के सापेक्ष दस शिक्षक तैनात
शहर की नजदीकी स्कूलो में छात्र संख्या अनुपाल में नियुक्ति से दस शिक्षकों की संख्या हो गई है

शाहजहांपुर : बेशक आटीई एक्ट अनुपालन होना चाहिए। लेकिन समान रूप से। हाल ही में 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरटीई एक्ट का जो अनुपालन हुआ, उससे शहर और ग्रामीण क्षेत्र का खाई बढ़ गई है। शहर की नजदीकी स्कूलो में छात्र संख्या अनुपाल में नियुक्ति से दस शिक्षकों की संख्या हो गई है, जबकि कक्षा सिर्फ पांच है। बेसिक शिक्षा परिषद में सेक्शन की भी अभी कोई नियम नहीं है। दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में 50 से लेकर 400 बच्चों का भविष्य एक शिक्षक के सहारे है। असंतुलन की इस पराकाष्ठा को अधिकारी भी समझ रहे है, लेकिन कमरों में बैठकर प्लानिंग करने वाले अधिकारियों ने जमीनी हकीकत को दरकिनार जिला स्तरीय अधिकारियों से सुझाव लेना भी उचित नहीं समझा।

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गत माह जनपद में 255 के सापेक्ष 242 शिक्षको को 69 हजार शिक्षक भर्ती के तहत नियुक्ति की। बीएसए ने इन शिक्षकों को एकल स्कूलों में नियुक्ति की व्यवस्था की थी। काउंसलिंग दो हजार स्कूलों का विकल्प ले दिया गया। इससे शिक्षकों शहर के समीपर्वी स्कूलों को चुन लिया। नतीजतन अब एक एक विद्यालय दस शिक्षक तक हो चुके है, जबकि एकल विद्यालयों में नियुक्ति नहीं हो सकी।

एक साथ चार शिक्षकों ने किया ज्वाइन

शहर से सटे गौटिया स्कूल में पहले से छह शिक्षक थे। चार और शिक्षकों ने यहां ज्वाइन कर लिया। हालत यह है कि शिक्षकों को बैठने के लिए कमरे तक नहीं है। पढ़ाना तो दूर की बात है।  पांच कक्षाओं में एक ही शिक्षक पढ़ा सकता है। यहां अतिरक्त कक्षा है और न ही सेक्शन नतीजतन बिना पढाए ही शिक्षक वेतन ले रहे है। इसी तरह जनपद के दो से अधिक स्कूलों में कक्ष संख्या से अधिक शिक्षक हो गए है।

प्राइमरी में पांच व जूनियर में चार शिक्षक पर्याप्त

खुद बीएसए राकेश कुमार का भी मानना है कि प्राइमरी में अधिकतम पांच शिक्षक ही होने चाहिए। इससे सभी शिक्षक कक्षावार बच्चों को बिठाकर पढ़ा सकेंगे। अधिक संख्या होने पर शिक्षण कार्य प्रभावित होता हे। इसी तरह जूनियर में प्रधानाध्यापक समेत अधिकतम चार शिक्षक ही होने चाहिए। दरअसल 300 से अधिक उच प्राथमिक विद्यालय भी एक व दो शिक्षकों के सहारे संचालित है।

शिक्षकों की नियुक्ति से स्कूलों में शिक्षकों का अभाव दूर होने की उम्मीद थी। एकल स्कूलों की सूची भी तैयार कर ली थी। लेकिन आइटीई एक्ट के अनुसार शिक्षकों के सृजित पदों के शासन से नियुक्ति हुई। इससे एकल स्कूलों को शिक्षक नहीं मिल सके। कक्षावार शिक्षक नियुक्ति के लिए सुझाव दिया गया है। उम्मीद है कि हल निकलेगा।

राकेश कुमार, बीएसए


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