बरेली में सड़क किनारे थैले में बंद कर मां ने फेंक दी 'ममता', राहगीर ने उठाकर सीने से लगाया Bareilly News
शुक्रवार शाम रेहाना घर के पास से गुजर रही थीं। तभी बच्ची के रोने की आवाज आई। नजर दौड़ाई तो वह सड़क किनारे पड़े थैले से आ रही है। उसे उठाया तो अंदर नवजात बच्ची मिली।
बरेली, जेएनएन। वो मां की ममता के वास्ते इस दुनिया में बड़ी होने आई थी। उसकी अंगुली पकड़कर चलना सीखना चाहती थी। उसका हाथ पकड़कर आगे बढऩा चाहती। आंखें खोलीं तो चाहा कि मां सीने से लगाए मगर ़ ़ ़मां ने उस नवजात के साथ ममता को भी सड़क किनारे फेंक दिया। वो ममता, जो हर मां के सीने में अपने कलेजे के टुकड़े के लिए होती है। अफसोस ़ ़ ़इस मां ने अपने सीने से बच्ची को तो दूर किया ही, ममता भाव को भी मानो सड़क किनारे फेंक दिया। बच्ची चीख रही थी, अचानक एक राहगीर की नजर पड़ी तो उसे सीने से लगा लिया। जन्म देने वाली मां भले ममता के भाव को भूल चुकी हो लेकिन राह गुजरने वाली मां ने इसे बखूबी एहसास किया।
गांधी टोला में सड़क किनारे थैले के अंदर बंद पड़ी मिली बच्ची को अपने घर का हिस्सा बनाने वाली राहगीर मां उसी मुहल्ले में रहती हैं। रेहाना बताती हैं कि शुक्रवार की शाम करीब साढ़े सात बजे वह घर के पास से गुजर रही थीं। अचानक एक बच्ची के रोने की आवाज आई। नजर दौड़ाई तो पता चला कि आवाज सड़क किनारे पड़े थैले से आ रही है। उसे उठाया तो अंदर बच्ची थी। कहने लगीं ़ ़ ऩ जाने कौन इस नवजात को सड़क किनारे फेंक गया। रेहाना ने उस बच्ची को उठाया, रोते से चुपाया और घर ले आईं।
मुहल्ले वालों ने सराहा
रेहाना ने उस बच्ची को नई जिंदगी दी। भाई मुहम्मद शफी को इस बारे में बताया तो उन्होंने व वहां इकट्ठे हो गए मुहल्ले वालों ने इसकी सराहना की। कहा कि नवजात को नई जिंदगी मिल गई। सही मायने में इंसानियत यही है ़ ़ ़दूसरे की जान बचाना। रेहाना ने इसे बखूबी समझा। बच्ची किसकी है, किसने जन्म दिया, इससे उन्हें ज्यादा सरोकार नहीं। उन्हें तो बस उस मासूम की जिंदगी की फिक्र थी, इसलिए उसे अपने साथ ले आईं।
बेदर्द मां, बच्चों को अपनाते गैर
इससे पहले भी ऐसे वाकये हुए। करीब पांच महीने पहले एक बच्ची को सिटी श्मशान भूमि में मटके में जिंदा दबा दिया गया था। उसे एक युवक ने बाहर निकाला और नई जिंदगी दी। अब उस बच्ची का नाम सीता है। उसकी परवरिश वॉर्न बेवी फोल्ड में की जा रही।