निजी प्रकाशकों की पुस्तकें अभिभावकों की जेब पर पड़ रहीं भारी, एनसीईआरटी का कक्षा नौ का पाठ्यक्रम एक हजार में तो निजी प्रकाशकों का कोर्स आठ हजार में मिल रहा
New academic session नए शैक्षिक सत्र शुरू होने के साथ ही अभिभावकों ने बुक्स डिपो के चक्कर काटने शुरू कर दिए हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान आर्थिक तंगी से जूझ रहे अभिभावकों की जेब पर निजी प्रकाशकों की लूट मची है। जो अभिभावकों के लिए सरदर्द बन गया है।
बरेली, जेएनएन। New academic session : नए शैक्षिक सत्र शुरू होने के साथ ही अभिभावकों ने बुक्स डिपो के चक्कर काटने शुरू कर दिए हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान आर्थिक तंगी से जूझ रहे अभिभावकों की जेब पर निजी प्रकाशकों की लूट मची है। जो अभिभावकों के लिए सरदर्द बन गया है। कक्षा नौ के लिए एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम जो एक हजार में मिल जा रहा है। वही निजी प्रकाशकों का पाठ्यक्रम आठ हजार तक है।
बढ़ते संक्रमण को देखते हुए फिलहाल शासन ने 30 अप्रैल तक स्कूल में पाठन-पाठन को स्थगित करने के आदेश दिए हैं। लेकिन आनलाइन पढ़ाई जारी है। यही कारण हैै कि अभिभावकों ने पुस्तक भंडार के दरवाजे खटकाने शुरू कर दिए हैं। अभिभावकों का कहना है कि एनसीईआरटी की किताबों की अपेक्षा निजी प्रकाशकों की कीमत दस गुनी है।
ऐसे में स्कूल संचालकों को पूरा पाठ्यक्रम एनसीईआरटी का लागू करना चाहिए। कक्षा नौ में एनसीईआरटी कोर्स की दस किताबों की कीमत जहां 811 रूपए है तो वहीं निजी प्रकाशकों की 16 किताबों की कीमत करीब सात हजार रूपये है। जिले में सीबीएसई, आइसीएसई स्कूलों में लगभग एक लाख छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं। इन विद्यार्थियों की पूरे वर्ष की किताबों का पूरे वर्ष का कारोबार करीब 50 करोड़ है।
सीबीएसई सिटी कार्डिनेटर वीके मिश्रा ने बताया कि आधुनिक ज्ञान बढ़ाने के लिए बच्चों को सप्लीमेंट पुस्तकों की जरूरत होती है। कंप्यूटर, फिजीकल एजुकेशन, आर्ट एंड क्राफ्ट जैसी कुछ किताबें हैं, जिनका प्रकाशन एनसीआरटी की ओर से नहीं होता। ऐसे में स्कूल संचालक इन किताबों को छोड़ अन्य एनसीआरटी की पुस्तकें लगा सकते हैं।