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राष्ट्रीय बालिका दिवस : बरेली को है इन बेटियों पर नाज, एक कर रही देश की सेवा तो दूसरी बचा रही लोगों की जिंदगी

National Girls Day News बचपन में जब भी सरहद पर हमलों की खबर सुनती थी तो घायल सैनिकों के दर्द का अहसास हो उठता था। इसलिए बीएससी नर्सिंग की और किस्मत से आर्मी में काम करने का मौका मिल गया।

By Ravi MishraEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 10:46 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 01:06 PM (IST)
राष्ट्रीय बालिका दिवस : बरेली को है इन बेटियों पर नाज, एक कर रही देश की सेवा तो दूसरी बचा रही लोगों की जिंदगी
राष्ट्रीय बालिका दिवस : सेना में लेफ्टिनेंट बनीं अंजू तो आकांक्षा बचा रहीं लोगों की जिंदगी

बरेली, जेएनएन। National Girls Day News : बचपन में जब भी सरहद पर हमलों की खबर सुनती थी तो घायल सैनिकों के दर्द का अहसास हो उठता था। इसलिए बीएससी नर्सिंग की और किस्मत से आर्मी में काम करने का मौका मिल गया। राष्ट्रीय बालिका दिवस यानी 24 जनवरी से ठीक एक दिन पहले आर्मी में नर्सिंग स्टाफ से लेफ्टिनेंट बनीं अंजू यादव ने यह बात जागरण से बातचीत में साझा की।

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शहर के केंद्रीय विद्यालय से स्कूली शिक्षा लेने वाली अंजू ने अपने पहले ही प्रयास में बीएससी नर्सिंग से आर्मी ज्वाइन की। इसमें उन्होंने पहली रैंक हासिल की थी। वह जुलाई 2016 से दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में जवानों की सेवा में जुटी हैं। 23 जनवरी को दिल्ली में हुई कमीशनिंग सेरेमनी में उन्हें लेफ्टिनेंट का पद हासिल हुआ है। लेफ्टिनेंट अंजू यादव ने बताया कि उनकी मंशा देश की रक्षा में जुटे सैनिकों की सेवा करने की है। शहर के नकटिया में रहने वाले उनके पिता सुभाष चंद्र यादव आर्मी के रिटायर्ड सूबेदार हैं। उनकी मां बीरबाला यादव गृहणी हैं।

टीम-12 बनाकर आकांक्षा बचा रहीं लोगों की जिंदगी

जिंदगी अमूल्य है। इस मर्म को रुहेलखंड विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस की छात्र आकांक्षा बहुत कम उम्र में समझ गईं। वह सिर्फ पढ़ाई में होनहार नहीं है, बल्कि लोगों को मदद पहुंचाने के लिए पिछले दो साल से प्रयासरत हैं। उन्होंने रक्तदान ग्रुप ‘टीम-12’ तैयार किया है। इसमें 1200 रक्तदाताओं का डेटाबेस है। जरूरत के मुताबिक लोगों को रक्त उपलब्ध कराकर लोगों की जिंदगी बचाने का प्रयास उनकी टीम करती है। आकांक्षा का ग्रुप अब तक एक हजार से अधिक जरूरतमंदों को निश्शुल्क रक्त उपलब्ध करा चुका है।

दुर्घटना, बीमारी में रक्त उपलब्ध कराने के साथ उन्होंने छह बुजुर्गों को गोद लिया है। उनकी डायलिसिस के दौरान रक्त की जरूरत को उनकी टीम पूरी करती है। राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर आकांक्षा का कहना है कि ऊर्जा के साथ अपना दायित्व निभाते हुए अच्छा लगता है। आज भी लोगों को रक्तदान के लिए जागरूक करना पड़ता है। उनका माना है कि लोगों को रक्तदान के लिए खुद से आगे आना चाहिए।


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