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Mothers Day 2021 : कोविड संक्रमण काल में अस्पतालों में मां की तरह जिम्मेदारी संभाल रहीं नर्स और डॉक्टर

Mothers Day 2021 मातृ दिवस पर वैसे तो हर बार किसी जुझारू मां के बच्चों के लिए संघर्ष की कहानी होती है। कोविड के दौर में आपको कई ऐसी ‘मां’ से मिलवाते हैं जो सफेद एप्रन पहनने के बाद अपने हर मरीज की देखभाल बच्चे की तरह करती हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 03:12 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 03:12 PM (IST)
Mothers Day 2021 : कोविड संक्रमण काल में अस्पतालों में मां की तरह जिम्मेदारी संभाल रहीं नर्स और डॉक्टर
सफेद एप्रन पहनते ही ‘बच्चे’ जैसे लगते हैं मरीज।

बरेली, जेएनएन। Mothers Day 2021 : मातृ दिवस पर वैसे तो हर बार किसी जुझारू मां के बच्चों के लिए संघर्ष की कहानी होती है। लेकिन कोविड संक्रमण के दौर में आपको कई ऐसी ‘मां’ से मिलवाते हैं, जो सफेद एप्रन पहनने के बाद अपने हर मरीज की देखभाल बच्चे की तरह करती हैं। इनमें से कोई 300 बेड कोविड अस्पताल में ड्यूटी कर रहीं। कुछ संक्रमितों का इलाज करने वाले डॉक्टर, नर्स या अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की सेवा में लगी हैं। वहीं, कोई कंधे से कंधा मिलाकर प्रशासनिक जिम्मेदारी बखूबी संभाल रही हैं।

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बेटे-बेटी की तरह मरीज भी जिम्मेदारी

300 बेड कोविड अस्पताल में डॉ.सीमा, डॉ.सलमा के साथ ही स्टाफ नर्स मोनिका और रेनू रोज सुबह आठ से दोपहर तीन बजे तक कोरोना संक्रमित मरीजों को अटैंड करती हैं। नए मरीज की इंट्री से लेकर इनकी देखभाल और इलाज का जिम्मा लेती हैं।खास बात कि इसी समय के दौरान सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती होने के लिए आते हैं। पूछा कि घर में बच्चों को कब समय देती हैं। डॉ.सीमा कहती हैं कि बेटी-बेटी की तरह ये मरीज भी हमारी जिम्मेदारी हैं। इनकी भी बच्चों की तरह देखभाल करते हैं। जरूरत पड़ने पर नाइट ड्यूटी भी करने में किसी को परहेज नहीं है।

सात महीने का गर्भ लेकिन सेवा प्राथमिकता

300 बेड कोविड अस्पताल में ही पूछताछ केंद्र पर रीता सचान ड्यूटी पर दिखती हैं। ड्यूटी के दौरान दनादन आने वाले तीमारदारों के फोन के जवाब और उनकी समस्या का यथासंभव हल बताती हैं। साथी स्टाफ नर्स मीनाक्षी सक्सेना बताती हैं कि रीता सचान सात महीने की गर्भवती हैं, चाहें तो छुट्टी ले सकती हैं। लेकिन कोविड काल में मरीजों की सेवा प्राथमिकता है। हालांकि सेवा करते-करते शुक्रवार को रीता सचान खुद संक्रमित आ गईं। चेहरे पर दोहरी परेशानी थी, लेकिन साथी को पूरी जिम्मेदारी सौंपकर ही वे होम आइसोलेशन के लिए रवाना हुईं। वहीं, मीनाक्षी सक्सेना खुद अस्थमा मरीज होने के बावजूद कोविड अस्पताल में लगातार ड्यूटी कर रही हैं।

कंधे से कंधा मिलाकर संभाल रहीं प्रशासनिक जिम्मेदारी

रोहिलखंड मेडिकल कालेज में भी डेडिकेटेड कोविड अस्पताल है। यहां कोविड-19 की नोडल अफसर और डिप्टी मेडिकल सुप्रीटेंडेंट की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। डॉ.मेधावी। अहमदाबाद से एमबीबीएस और एमडी किया। शनिवार को मुख्यमंत्री के साथ जिन कोविड अस्पतालों से जिम्मेदार जुड़े थे, उनमें रोहिलखंड मेडिकल कालेज से डॉ.मेधावी भी शामिल थीं। डॉ.मेधावी बताती हैं कि सास (मां) कनक अग्रवाल ने आगे बढ़ने में खूब सहयोग किया। इसी वजह से आज कंधे से कंधा मिलाकर प्रशासनिक जिम्मेदारी भी बखूबी संभाल रही हैं।

दुनिया को बच्चों से ज्यादा मांओं की जरूरत

एसआरएमएस मेडिकल कालेज में कम्यूनिटी मेडिसिन डॉ. हुमा खान ने बताया कि दुनिया को बच्चों से ज्यादा मांओं की जरूरत है। हर व्यक्ति अपनी संतान चाहता है, इसे नैसर्गिक जिम्मेदारी भी माना जाता है।एसआरएमएस में सेवा करने के दौरान करीब 12 जिलों और इनके कई गांवों में काफी बड़ी संख्या में लोगों से रूबरू हुई। मैंने देखा कि दुनिया को और संतानों से ज्यादा और अच्छी मांओं की जरूरत है। मेरा मानना है? कि इसे बच्चों को नहीं बल्कि सभी मां को मनाना चाहिए। इस भावना के साथ कि क्या हम जन्म देने के अलावा अपने मां होने के सभी दायित्वों का पूरा निर्वाहन कर रहे हैं। एक बार ठहरें और मंथन करें कि रचियता ने जो हमें जिम्मेदारी दी, उससे कहीं भटक तो नहीं रहे। क्या हम अपनी संतान को सही संस्कार दे रहे। क्या बेटियों को बता पा रहे कि परिवार को जोड़े रखना कितना अहम है? क्या हम बेटों को बच्ची से लेकर हर रूप में नारी का सम्मान किस रूप में करना है? इसलिए मैंने पति के साथ नि:संतान रहने का फैसला लिया। ताकि मां के रूप में खुद को सीमित न कर सकूं। आज संक्रमितों का इलाज करने वाले सभी डॉक्टर और स्टाफ नर्स मेरी संतान हैं। कोविड काल में संक्रमितों की सेवा में लगे करीब 250 डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों का मेरा परिवार है। इन्हें आइसोलेट करने, संरक्षित करने की जिम्मेदारी मेरी है। इनके यथासंभव सहयोग, उनकी समस्याएं सुलझाकर मैं अपने मातृत्व की जिम्मेदारी निभाती हूं।


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