मुहल्लानामा : अदब से झुक जाते थे राजे-रजवाड़ों के सिर Bareilly News
ब्रिटिश काल में काजी नसीरुद्दीन हैदर पुराना शहर की कोठी में बतौर मजिस्ट्रेट सुनाया फैसले करते थे अब इस कोठी का स्वरुप बदल चुका है।
बरेली [वसीम अख्तर] : बा-अदब, बा-मुलाहिजा होशियार! मीलॉर्ड तशरीफ ला रहे हैं। जब सुबह व दोपहर के वक्त यह पुकार लगा करती थी तो कोर्ट के अंदर और बाहर मौजूद खास-ओ-आम अदब से खड़े होकर सिर झुका लिया करते थे। सन्नाटा छा जाया करता था। उसे तोड़ते हुए एक आवाज गूंजती थी-बहस शुरू की जाए। अब वहां ऐसा नजारा नहीं है, लेकिन गुजरे दौर की यादें अभी बाकी हैं। कोठी की दरो-दीवार वहां लगने वाली कोर्ट का शानदार और यादगार अतीत बयां कर रही हैं। किस्से और कहानियों के दौरान भी काजी खानदान का यह जलवा अकसर व बेशतर बयां होता रहता है।
बात मुहल्ला काजी टोला के इतिहास की हो रही है। यह उस दौर की बात है, जब काजी कुतुबुद्दीन हैदर हाफिज होने के साथ शहर की बड़ी शख्सियत थे। उस वक्त में काजी का मतलब महज निकाह पढ़ाना नहीं होता था। वे बैरिस्टर हुआ करते थे।
काजी कुतुबुद्दीन हैदर के बेटे काजी नसीरुद्दीन हैदर वकालत पढ़कर आए थे। ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें 1914 में खान बहादुर की पदवी से नवाजकर बतौर ऑनरेरी मजिस्ट्रेट तैनात किया था। वह रेलवे से जुड़े मुकदमे भी सुनते थे। जिस कोठी में अब उनकी चौथी पीढ़ी रह रही है, उसी में उनकी कोर्ट लगा करती थी। तब कोठी क्षेत्रफल में काफी बढ़ी थी। उसमें तहखाना और सुरंग भी थी।
मुहल्ले के रहने वाले बुजुर्ग बताते हैं कि कोर्ट में अहम फैसले सुनाए जाते थे। रियासतों के बीच जमीनों के विवाद को लेकर राजे-रजवाड़े भी अदब के साथ पेश हुआ करते थे। पेशी से पहले उनके नाम पुकारे जाते थे। तब तारीख पर तारीख नहीं लगती थी। फैसले जल्द होते थे। मुहल्ले की एक यह ही नहीं और भी बहुत सी खासियत हैं।
दे देते थे गाड़ियों में भरा अनाज
बुजुर्ग सबीहउद्दीन बताते हैं कि काजी खानदान के ही मौलवी अशफाक अहमद का जब गांव-देहात में होने वाली खेती से अनाज आता था, तो वह गाड़ियां काफी देर तक खाली नहीं कराते थे। जब देख लेते थे कि गरीब गाड़ियों से अपने हिस्से का अनाज ले चुके हैं तो बाहर आकर कहते थे, चलो अब भाग जाओ। बेगम साहिबा आ रही हैं।
चुने गए नगर पालिका के चेयरमैन
बरेली कॉलेज मैनेजमेंट कमेटी के उपाध्यक्ष काजी अलीमुद्दीन बताते हैं कि काजी नसीमुद्दीन हैदर उनके दादा थे। वालिद काजी अनीसुद्दीन डीजीसी क्रिमिनल रहे और नगर निगम निगम से पहले नगरपालिका रहते चेयरमैन भी चुने गए।