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बरेली में 31 घंटे बाद मिशन पूरा, पिंजरे में आई तो गुर्राई शर्मीली

बंद पड़ी रबर फैक्ट्री के जंगल में 15 माह से ठिकाना बनाए बाघिन को शुक्रवार को बेहोश कर पकड़ लिया गया। वह लखीमपुर खीरी के किशनपुर जंगल में यहां आई थी इसलिए उसे वहीं वापस छोड़ दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 05:18 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 05:19 AM (IST)
बरेली में 31 घंटे बाद मिशन पूरा, पिंजरे में आई तो गुर्राई शर्मीली
बरेली में 31 घंटे बाद मिशन पूरा, पिंजरे में आई तो गुर्राई शर्मीली

बरेली, जेएनएन: बंद पड़ी रबर फैक्ट्री के जंगल में 15 माह से ठिकाना बनाए बाघिन को शुक्रवार को बेहोश कर पकड़ लिया गया। वह लखीमपुर खीरी के किशनपुर जंगल में यहां आई थी, इसलिए उसे वहीं वापस छोड़ दिया गया।

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गुरुवार को उसकी घेराबंदी कर दी गई थी। शासन से टै्रंकुलाइज (बेहोश) करने की अनुमति नहीं मिली इसलिए चारों ओर जाल लगा दिए गए, ताकि उसमें फंस जाए। शातिर बाघिन वहीं दुबकी रही। शुक्रवार सुबह तक बाहर नहीं निकली तो शासन से दोबारा अनुमति मांगी गई। कहा गया कि बारिश के बीच वह किसी तरह निकल भागी तो दोबारा पकड़ना मुश्किल होगा। वहां से अनुमति मिलने के बाद उसे ट्रैंकुलाइज करने की तैयारी हुई।

एक ही डार्ट में हो गई बेहोश, 45 मिनट में पूरा हुआ रेस्क्यू

वाइल्डलाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया (डब्ल्यूटीआइ), पीलीभीत टाइगर रिजर्व, वन विभाग की टीम ने बाघिन को बेहोश करने के लिए टैंक पर चढ़ी। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डा. दक्ष गंगवार व ललौरीखेड़ा के डा. राजुल सक्सेना ने टैंक में एक डार्ट मारी, उसी से बाघिन बेहोश हो गई। इसके बाद वन विभाग की टीम ने टैंक को काटकर बाघिन को बाहर निकलवाया। मेडिकल में वह पूरी तरह से स्वस्थ मिली। रेस्कूय केवल 45 मिनट में ही पूरा किया गया।

इस तरह पूरा हुआ रेस्क्यू

शुक्रवार सुबह आठ बजे शासन से टै्रंकुलाइज की अनुमति मिलने के बाद 10 बजे रेस्क्यू शुरू किया गया। 11.20 पर बाघिन को डार्ट मारा। 11.45 पर रेस्क्यू पूरा कर बाघिन को रिवर्स डोज दे उसे पिजरे में बंद कर दिया गया। 12.15 पर बाघिन वापस पिजरे में खड़ी होकर दहाड़ने लगी।

छठे आपरेशन में लगे 22 दिन

पिछले साल 11 मार्च से फैक्ट्री परिसर में ठिकाने बनाए बाघिन को पकड़ने के लिए पांच अफसर आपरेशन हुए। इस बार छठा आपरेशन 22 दिन चला। जिसमें 125 एक्सपर्ट की टीम जुटी रही।

डीएम भी पहुंचे

बाघिन को देखने के लिए जिलाधिकारी अपनी पत्नी व सीडीओ अपने भांजे के साथ पहुंचे।

15 जून को ही मिल गई थी लोकेशन

डब्ल्यूटीआइ के विशेषज्ञ सुशांत सोमा ने बाघिन के ठिकाने का पता 15 जून को लगा लिया था। 16 जून को सेंसर कैमरे ठिकाने के पास लगा उसके आने-जाने का सटीक जानकारी की। इसके बाद 17 जून गुरुवार को बाघिन को टैंक के अंदर ही घेर लिया। गुरुवार सुबह पांच बजे उसे पकड़ने की कोशिश शुरू हुई।

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बाघिन को डब्ल्यूटीआइ व पीलीभीत टाइगर रिजर्व के विशेषज्ञों की सहायता से सुरक्षित पकड़ लिया गया है। मेडिकल में वह स्वस्थ मिली है। जिसके बाद उसे किशनपुरी छोड़ दिया गया।

- ललित कुमार वर्मा, मुख्य वन संरक्षक रूहेलखंड जोन


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