पूर्णिमा पर मंगल केतु एक साथ वृश्चिक राशि में बढ़ेगी आध्यात्मिक गति
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 1
जागरण संवाददाता, बरेली: मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 18 दिसंबर से शुरू हो गई है, जो 19 दिसंबर तक रहेगी। 19 दिसंबर यानी रविवार को स्नान और दान फलदायी माना जा रहा है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत का शुभ फल पाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी बताया गया है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान नारायण की पूजा का विधान है। मान्यता है जो कोई भी व्यक्ति मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर का व्रत करता है और विधिवत पूजा करता है, उनका जीवन खुशियों और समृद्धि से भरा रहता है। ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा के मुताबिक मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर इस बार मंगल और केतु एक साथ वृश्चिक राशि में स्थित होंगे। मंगल और केतु की युति से आध्यात्मिक गतिविधियों में वृद्धि होती है। वहीं मार्गशीर्ष माह को दान, पुण्य, धार्मिक कार्य और देवी देवताओं की पूजा के लिए उत्तम बताया गया है। ऐसे में मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर व्रत और पूजा से कई गुना लाभ मिलेगा।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत में ध्यान रखें ये बातें
- इस दिन सुबह जल्दी उठें और सूर्योदय से पहले स्नान कर लें।
- किसी पवित्र स्थल पर जाकर स्नान करें।
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा का उपवास बेहद ही श्रद्धा, साफ़ सफाई और निष्ठा के साथ किया जाना चाहिए।
- व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए यथाशक्ति के अनुसार दान पुण्य अवश्य करें।
- प्याज, लहसुन, मांस, मछली, शराब आदि जैसे खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
- उपवास कर रहे हैं तो दोपहर में भूल से भी सोए नहीं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर व्रत और पूजा से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। इस दिन तुलसी की जड़ की मिट्टी से पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करना चाहिए। कहते हैं कि इस दिन किये जाने वाले दान का फल अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना अधिक मिलता है, इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा भी कही जाती है।