मत के अधिकार को कर्तव्य समझकर दशकों से पालन कर रहे बरेली के तमाम बुजुर्ग, गर्व से निभाते हैं जिम्मेदारी
आज भी ऐसे तमाम लोग हैं जो 50 वर्षों से ज्यादा समय से प्रत्येक चुनाव में मत के अधिकार को कर्तव्य समझकर अपना वोट डालते हैं। मतदाता जागरूकता दिवस पर आज की रिपोर्ट में ऐसे ही कुछ लोगों के विचारों से अवगत कराते हैं।
बरेली, जेएनएन। वर्षों की गुलामी के बाद आजाद हुए भारत ने चुनाव प्रक्रिया पूरी करके खुद को लोकतांत्रिक देशों की श्रेणी में खड़ा किया था। लोकतांत्रिक देश जिसकी सरकार उसी देश के लोग बिना किसी भेदभाव के सामूहिक सहभागिता से चुनें। लेकिन बदलते परिवेश में बड़ी संख्या में लोग मतदान के प्रति उदासीन हो गए, लेकिन आज भी ऐसे तमाम लोग हैं, जो 50 वर्षों से ज्यादा समय से प्रत्येक चुनाव में मत के अधिकार को कर्तव्य समझकर अपना वोट डालते हैं। मतदाता जागरूकता दिवस पर आज की रिपोर्ट में ऐसे ही कुछ लोगों के विचारों से अवगत कराते हैं जो इस बार भी वोट डालने के लिए उत्साहित हैं।
हमेशा करता हूं मताधिकार का प्रयोग: 1970 में पहली बार वोट डाला था। घर के बुजुर्गों ने प्रेरणा दी थी यह हमारा मौलिक अधिकार है, तब बैलेट पेपर से वोट डाला था। तब से आज तक सभी चुनावों में वोट जरूर डाला। अपने बच्चों और परिवारों को भी यही संदेश देता हूं कि आज भी अपने वोट की ताकत पहचानो। अपनी आजादी के लिए अपनी इच्छा से सरकार चुनो, अपने हक की लड़ाई वोट की ताकत से ही लड़ी जा सकती है। वोटिंग वाले दिन मोहल्ले में घूमता हूं। लोगों को प्रेरित करता हूं की वोट जरूर डालें। - रविशंकर मेहरोत्रा, बिहारीपुर
सेना से अवकाश लेकर डालता था वोट: सेना में रहते हुए कई बार मताधिकार से वंचित रह जाता था तो ऐसा लगता था जैसे कुछ अपना खास छूट गया है। जीवन में सब कुछ होते हुए कमी सी लगती थी। कई बार सेना से अवकाश लेकर वोट डालने आता था। कुछ साथियों जिनका नाम सूची में आ जाता था तो वे डाक बैलेट से मताधिकार का प्रयोग कर लेते थे। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद से प्रत्येक चुनाव में मताधिकार का प्रयोग जरूर करता हूं। युवाओं को तो मताधिकार का प्रयोग जरूर करना चाहिए।- पीएस अरुण, सेना में सूबेदार मेजर, कैंट क्षेत्र
कभी नहीं रहा मतदान से वंचित: उम्र के इस पड़ाव पर 50 साल पुरानी बातें याद रखना मुश्किल होता है, लेकिन मेरा वोट जब से बना था। तब से लेकर अब तक कभी वोट डालने से खुद को वंचित नहीं रखा। जहां तक मुझे याद है तो पहला वोट पर्ची से डाला था। बैलेट पेपर से भी लंबे समय तक वोट डाला। अब ईवीएम का जमाना आ गया तो वोट डालने से पहले समझना पड़ता है कि मताधिकार कैसे करें। अब भी मतदान जरूर करता हूं। इस बार भी वोट डालने जाऊंगा। - रामचंद्र अग्रवाल, आलमगीरीगंज
कभी न भूली मतदान करना: बरेली में रहते हुए करीब 35 साल बीत चुके हैं। यहां पर वोट बनवाया था। तब से लेकर अब तक लगातार वोट डालती हूं। इस बार भी घर पर सर्वे करने वाले आए तो वोट डालने के लिए फार्म भरवा दिया है। मूल रूप से सोनपुर बिहार के एक गांव की रहने वाली थी। वहां पर शादी के बाद भी वोट नहीं डाल पाई। घर के अन्य लोग वोट देने जाते थे तब सोचती थी कि यह मौका मुझे मिलेगा तो मतदान जरूर करूंगी। अब हमेशा वोट डालने के लिए प्रयासरत रहती हूं। - मुन्नी शर्मा, गायत्री नगर