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Jagran Special : महिलाओं में गर्भपात का कारण बन रहे पुरुष, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस मुख्य वजह

महिलाओं में गर्भपात का कारण सिर्फ वे ही नहीं होतीं। उनके गर्भपात का कारण पुरुष भी बन रहे हैं।

By Edited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 09:53 AM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 09:53 AM (IST)
Jagran Special : महिलाओं में गर्भपात का कारण बन रहे पुरुष, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस मुख्य वजह
Jagran Special : महिलाओं में गर्भपात का कारण बन रहे पुरुष, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस मुख्य वजह

अशोक आर्य, बरेली : महिलाओं में गर्भपात का कारण सिर्फ वे ही नहीं होतीं। उनके गर्भपात का कारण पुरुष भी बन रहे हैं। पुरुषों में शुक्राणुओं का डीएनए स्वस्थ होना जरूरी है। कई बार डीएनए क्षतिग्रस्त होने पर तीन से छह महीने में महिला को गर्भपात हो जाता है। पुरुषों में यह स्थिति ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के बढ़ने के कारण बन रही है। कम उम्र के युवाओं में ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस तेजी से युवाओं को जकड़ रहा है।

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बार-बार होता महिला को गर्भपात

विशेषज्ञों की मानें तो कई महिलाओं को अक्सर तीन से छह महीने के बीच गर्भपात हो जाता है। समस्या से पीड़ित महिलाएं डॉक्टर के पास जाती हैं, लेकिन समाधान नहीं मिलता, वजह उनके पति की जांच नहीं कराई जाती है। जबकि वास्तव में पुरुषों में शुक्राणुओं का डीएनए क्षतिग्रस्त होने पर बार-बार महिला का गर्भपात होता है।

वीर्य में घटने लगता ऑक्सीडेट का स्तर

आजकल युवा काम के बोझ से दबा है और अत्याधिक तनावग्रस्त रहता है। सिगरेट भी खूब पीता है। इस स्थिति को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कहते हैं। यह जीवन की बेहद खराब स्थिति है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस जैसे-जैसे बढ़ता है, वैसे-वैसे वीर्य में एंटीऑक्सीडेंट्स का स्तर घटने लगता है। अमूमन यह समस्या उम्र बढ़ने पर होती है। अत्याधिक तनाव के कारण यह समस्या युवाओं में भी सामने आ रही है।

केस स्टडी

28 से 30 वर्ष की उम्र का एक विवाहित युगल पिछले पांच वर्षो से संतान प्राप्ति के लिए प्रयासरत था। महिला गर्भवती तो होती थी लेकिन तीन से पांच महीने में ही उसका गर्भपात हो जाता था। बार-बार गर्भपात से वह मानसिक रूप से टूट चुकी थी। परिवार ने कई स्त्री रोग विशेषज्ञों को दिखाया, लेकिन लाभ नहीं हुआ। शहर के एक आइवीएफ हॉस्पिटल में दिखाने पर पता चला कि महिला के गर्भाशय की दीवार पतली थी, जिससे भ्रूण गर्भाशय में ठहर नहीं पा रहा था। उसके पति की जांच में पता चला कि उसके शुक्राणुओं की गतिशीलता, स्वास्थ्य और घनत्व ठीक है, लेकिन शुक्राणुओं का डीएनए क्षतिग्रस्त पाया। पता चला कि दोनों एक कॉल सेटर में काम करते हैं। सिगरेट पीते हैं और अत्याधिक तनावग्रस्त रहते हैं। दोनों ने दिनचर्या बदली और तीन माह बाद पुरुष के स्वस्थ शुक्राणुओं को अलग करके महिला के अंडों के साथ संषेचित कराया गया। बाद में सफलतापूर्वक महिला के गर्भ में प्रस्थापित किया गया। इससे उन्हें संतान की प्राप्ति हुई।

एक्सपर्ट की सलाह

विशेषज्ञों का मानना है कि ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचने के लिए पुरुष अपने जॉब से छुट्टी लेकर कुछ समय के लिए आराम करें। अपनी जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन लाएं। पौष्टिक आहार लेना शुरू कर दें। महिलाएं धूमपान बिल्कुल न करें। धूमपान से गर्भपात होने की आशंका 50 फीसद तक बढ़ जाती है।

एंटी ऑक्सीडेंट्स से बढ़ जाती है शक्राणुओं की गतिशीलता 

एंटी ऑक्सीडेंट्स से शक्राणुओं की गतिशीलता बढ़ जाती है। जिन पुरुषों के शुक्राणुओं की गतिशीलता कम होती है या वे स्थिर रहते हैं, वे अक्सर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के शिकार होते हैं। उनके डीएनए भी क्षतिग्रस्त पाए जाते हैं। ऐसे पुरुषों के कारण महिलाओं को बार-बार गर्भपात होता है। डॉ. श्रुति घाटे, आइवीएफ स्पेशलिस्ट


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