हड़ताल की वजह से बैंकों में लटके ताले, एटीएम खाली होने से लोग परेशान
केंद्र सरकार के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारियों ने मंगलवार को भी काम नहीं किया। कर्मचारियों ने बैंक शाखाओं के सामने एकत्र होकर जमकर नारेबाजी की। हड़ताल के चलते जनपद की निजी बैंकों के चलते अन्य में ताला लटकते रहे।
बरेली, जेएनएन । केंद्र सरकार के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारियों ने मंगलवार को भी काम नहीं किया। कर्मचारियों ने बैंक शाखाओं के सामने एकत्र होकर जमकर नारेबाजी की। हड़ताल के चलते जनपद की निजी बैंकों के चलते अन्य में ताला लटकते रहे। लगातार चार दिन बैंक बंद रहने से मंगलवार को करीबन चार सौ करोड़ का लेनदेन प्रभावित रहा। जबकि शहर के एटीएम खाली हो जाने से लोग एक एटीएम से दूसरे एटीएम में चक्कर काटते रहे।
मंगलवार को यूनाइटेड फोरम ऑफ आरआरबी यूनियंस के बैनर तले ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन की ओर से हड़ताल की गई। जिले में दूसरे दिन भी निजीकरण के विरोध में हड़ताल की गई। हड़ताली कर्मचारियों ने स्टेट बैंक मुख्य शाखा पर सुबह से ही प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। हड़ताल की अध्यक्षता सुनील मित्तल ने की। स्टेट बैंक अधिकारी संघ के सुमित भटनागर ने बैंक राष्ट्रीय करण के फायदे बताते हुए कहा कि 1969 में जब बैंको का राष्ट्रीयकरण किया गया, उसके बाद जन-जन तक बैंकिंग पहुंची। देश मे हरित क्रांति, दुग्ध क्रांति,कृषि क्रांति हुई। जिसका श्रेय इन बैंकों को है। यूनियन बैंक स्टाफ एसोसिएशन के महामंत्री पीके माहेश्वरी ने कहा कि निजीकरण नीति का व्यापक विरोध देश मे जारी है। दिनेश सक्सेना ने कहा कि निजीकरण विनाश की ओर ले जाने वाला कदम होगा। बैंक ऑफ बड़ौदा स्टाफ एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष पीपी सिंह ने कहा कि सरकार चंद पूंजीपतियों की कठपुतली बन गई है और जनता के हितों से खिलवाड़ कर रही है, जो हमे मंजूर नही है। हड़ताल में संतोष तिवारी, अरुण कुमार, चरण सिंह यादव, रश्मि शर्मा, प्रतिभा सेन, आशीष शुक्ला, सतीश शर्मा, शेलेन्द्र कुमार, जगन्नाथ, अतुल मिश्र, पूजा कौशल समेत अन्य मौजूद रहे। वहीं हड़ताल को कई अन्य ट्रेड यूनियन का भी समर्थम मिला।
खुले बैंकों को कराया गया बंद
मंगलवार को पंजाब एंड सिंध बैंक का रीजनल ऑफिस खोला गया था। जिसकी जानकारी होने पर हड़तालियों ने उसे भी बंद करा दिया। हंगामा प्रदर्शन देख जोनल मैनजर को अपना कार्यालय बंद करना पड़ा।