Lockdown in Bareilly : बरेली में कोरोना संक्रमण की चेेन तोड़ने के लिए घर पर ही रहे लोग, जरूरत होने पर निकले भी तो मास्क लगाकर
Lockdown in Bareilly कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने चार दिन की बंदी और बढ़ा दी है। मंगलवार को बंदी का चौथा दिन था और शहर के लोगों ने इसका समर्थन किया। मंगलवार को बंदी का शहर के लोगों ने समर्थन किया।
बरेली, जेएनएन। Lockdown in Bareilly : कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने चार दिन की बंदी और बढ़ा दी है। मंगलवार को बंदी का चौथा दिन था और शहर के लोगों ने इसका समर्थन किया।मंगलवार को बंदी का चौथा दिन था और शहर के लोगों ने इसका समर्थन किया। संक्रमण की चैन तोड़ने के लिए शहर के लोग घर पर रहे, जो जरूरतमंद थे बस वही बाहर निकले। शहर की अधिकांश दुकानें बंद रहीं, सिर्फ आवश्यक सामग्री और दवा और सर्जिकल आइटम की दुकानें खुली रहीं।
श्यामगंज बाजार : शहर के इस प्रमुख बाजार में मंगलवार को पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहा। यहां के व्यापारियों ने शासन द्वारा बढ़ाए गए दो दिन के लॉकडाउन का पूर्ण समर्थन किया। श्यामगंज बाजार में किराने की ही इक्का दुक्का दुकानें खुली रहीं। इन दुकानदारों ने भी अपनी दुकानों के आधे शटर गिरा रखे थे। जो सामान दे रहे थे वह भी ग्राहक को बाहर खड़ा कर ही पर्चा लेते और सामान देकर पैसे ले रहे थे।
आलमगीरीगंज बाजार : शहर के प्रमुख सराफा और साड़ी बाजार आलमगीरीगंज भी मंगलवार को पूर्ण रूप से बंद रहा। यहां के लोगों ने बताया कि कई दुकानदार तो बीते एक सप्ताह से दुकान बंद किए हैं। यहां कुछ लोग बाहर सड़क पर घूमते दिखाई दिए, उनसे बाहर निकलने की वजह पूछी तो बताया कि दवा आदि लेने जा रहे हैँ।
कुतुबखाना बाजार : शहर के अस्पताल रोड से कुतुबखाना और कोहाड़ापीर तक सड़कों पर सन्नाटा पसरा था। यहां कुछ मेडिकल स्टोर खुले हएु थे, जिन पर दवा खरीदने लोग आए थे। वहीं कुतुबखाना रोड पर एक चाय का ठेला लगा था, जहां कुछ पुलिस कर्मी खड़े मिले। कुतुबखाना पुलिस चौकी के बाहर भी कुछ पुलिस कर्मी ड्यूटी करते मिले।
नहीं दिखी पुलिस
शहर के प्रमुख स्थानों पर लॉकडाउन का पालन कराने को पुलिस नजर नहीं आई। दोपहर दो बजे शहर के चौकी चौराहा पर कोई पुलिस कर्मी मौजूद नहीं था। यहां बने पुलिस पिकेट पर एक ट्रैफिक का सिपाही और पुलिस चौकी के बाहर एक होमगार्ड ही मौजूद था। जबकि सबसे ज्यादा वाहनों की आवाजाही यहीं से हो रही थी, जिन्हें न रोका जा रहा था न कोई टोक रहा था। शहर के पटेल चौक और नावेल्टी पर भी यही स्थिति थी।