आधार की तरह सोने के आभूषणों का भी होगा यूनीक आइडेंटीफिकेशन नंबर, जानिये इसके फायदे
आधार नंबर की तरह 16 जून से सोने के आभूषण और कलाकृतियों की अलग पहचान होगी। छह अंकों के यूनीक आइडेंटीफिकेशन नंबर के जरिए उपभोक्ता ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआइएस) की साइट पर जाकर आभूषण की संपूर्ण जानकारी हासिल कर सकेगा।
बरेली, जेएनएन। आधार नंबर की तरह 16 जून से सोने के आभूषण और कलाकृतियों की अलग पहचान होगी। छह अंकों के यूनीक आइडेंटीफिकेशन नंबर के जरिए उपभोक्ता ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआइएस) की साइट पर जाकर आभूषण की संपूर्ण जानकारी हासिल कर सकेगा। दो ग्राम या उससे अधिक के आभूषणों पर हॉलमार्किंग के नियम लागू 16 जून से होंगे, लेकिन सराफा कारोबारियों को कई संशय है। शुक्रवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बरेली, मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद, मुज्जफरनगर के सराफा कारोबारियों ने वर्चुअल बैठक में व्यवहारिक समस्याएं रखींं।
सोने के आभूषण पर हॉलमार्किंग 15 जून से अनिर्वाय हो रही है। केंद्र सरकार ने स्वर्ण आभूषण और कलाकृतियों के लिए हॉलमार्किंग व्यवस्था अनिवार्य करने की समयसीमा एक जून से बढ़ा दी है। 15 जून से कारोबारी को सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट के सोने के आभूषण बेचने की इजाजत होगी। इसमें 20 और 21 कैरेट के आभूषणों को स्वीकृति नहीं मिली है। मौजूदा समय में लगभग 40 फीसद सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग हो रही है।
फिलहाल चांदी पर लागू नहीं : वर्चुअल बैठक में मौजूद रहे बीआइएस अधिकारी आरके त्यागी ने बताया कि छह अंकों के यूनीक आइडेंटीफिकेशन नंबर में अंग्रेजी की वर्णमाला के शब्द और न्यूमेरिक अंक दोनों लिए जाएंगे। फिलहाल चांदी के आभूषणों पर अनिवार्यता नहीं होगी।नवंबर 2019 में सरकार ने स्वर्ण आभूषण और कलाकृतियों पर हॉलमार्किंग 15 जनवरी, 2021 से अनिवार्य करने की घोषणा की थी। कोविड की वजह से चार महीने डेटलाइन को बढ़ाया गया। अब कारोबारियों को 15 दिन का और समय दिया गया है।
क्या है हॉलमार्किंग : सोने पर हॉलमार्किंग धातु की शुद्धता को प्रमाणित करता है। बरेली में हॉलमार्किंग के लिए आठ कारोबारी काम करते हैं। जोकि आलमगिरीगंज, साहूकारा के बाजार में प्रतिष्ठान संचालित कर रहे है। एक आभूषण पर हॉलमार्किंग कराने में 35 रुपये और जीएसटी का शुल्क लगता है।
झुमका खरीदकर लटकन बढ़वाने पर हॉलमार्किंग कैसे रखेंगे बरकरार : शुद्ध आभूषण की गारंटी वाले हॉलमार्किंग को लेकर सराफा कारोबारियों की जिज्ञासा भी कई है। क्रेडिट सिस्टम पर चलने वाले सराफा कारोबार में इनवेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम को लागू करने पर संशय है। कारोबारी पूछते है कि मान लीजिए, हमारी दुकान पर एक महिला आईं। उन्होंने एक झुमका लिया। जिसपर हॉलमार्क लगा हुआ था। अब महिला ने झुमके पर लटकन अलग से लगवाई। तो फिर हॉलमार्क मान्य कैसे हुआ।सराफा कारोबारी कहते हैं कि दो ग्राम से अधिक भार वाले आभूषण पर हॉलमार्क होना चाहिए।
दो ग्राम के पीस की वैल्यू आठ हजार होगी। इसमें हॉलमार्किंग का खर्च 35 रुपये और जीएसटी चुकाएं, जबकि मार्जिंन 500 रुपये का होता है। वर्चुअल बैठक में सहारनपुर के प्रदीप जैन ने कहा कि हॉलमार्किंग सेंटर उसी दिन हॉलमार्क लगाकर आभूषण वापस नहीं दे सकते। इनवेंट्री दिखाएंगे कैसे।नए सिस्टम में आभूषण को बेचने के साथ ही सराफा बीआइएस सिस्टम पर यूनिक आइउेटिकेशन नंबर चढ़ाएगा। एक तरह से सराफ के सिस्टम से आभूषण बाहर चला गया। तीन दिन बाद ग्राहक की वापसी पर आभूषण वापस करके क्रेडिट नोट लेने पर सराफ क्या करेगा। यह व्यवहारिक समस्या है।