पीलीभीत में दबोचा गया तेंदुआ, बाघ की दहशत बरकरार
चार दिन पहले वन विभाग की ओर से बाघ को पकड़ने के लिए लगाए गए ¨पजड़े में तेंदुआ कैद हो गया। जबकि बाघ अभी भी मवेशियों को निवाला बना रहा है।
जेएनएन, पीलीभीत : चार दिन पहले वन विभाग की ओर से बाघ को पकड़ने के लिए लगाए गए ¨पजड़े में तेंदुआ कैद हो गया। बकरी खाने के चक्कर में पहुंचा और फंस गया। सुबह पहुंचे वनकर्मियों ने तेंदुए को मुस्तफाबाद ले जाकर जंगल में छोड़ दिया। तेंदुआ पकड़े जाने से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। हालांकि, कुछ इलाकों में बाघ की दहशत अभी बरकरार है।
रमनगरा क्षेत्र में पिछले दो माह से तेंदुआ और एक बाघ आतंक का पर्याय बना हुआ था। वन विभाग ने बाघ व तेंदुए को पकड़ने के लिए दो अलग-अलग ¨पजरे लगाए थे। तीन दिन पूर्व तेंदुआ ¨पजरे के पास से होकर लौट गया था। कामयाबी बुधवार सुबह महाराजपुर के कंपार्टमेंट तीन में मिली। यहां लगे ¨पजरे में तेंदुआ कैद हो गया। हालांकि, शारदा नदी किनारे बूंदीभूड, नौजलिया, कुतियाकबर सहित आधा दर्जन गांवों में पिछले कई दिनों से तेंदुए ग्रामीणों के पालतू पशुओं को निवाला बना रहे हैं। अन्य तेंदुआ आबादी क्षेत्र में दहशत बने हुए हैं।
--शारदा डैम में चर रहे बैल को बाघ ने खाया
कलीनगर तहसील क्षेत्र के रमनगरा सहित आधा दर्जन गांवों में इन दिनों बाघ की दहशत है। बुधवार को रमनगरा निवासी दिलीप ¨सह रोज की तरह अपने मवेशियों को डैम के पास चरा रहे थे। अपरान्ह दो बजे झाड़ियों से निकले बाघ ने उनके बैल को निवाला बना लिया। दिलीप सिंह के चीखने पर तमाम लोग पहुंच गए। तब तक बाघ झाड़ियों में गुम हो गया। एक सप्ताह पूर्व बाघ ने महाराजपुर निवासी प्रेम सरदार के बैल को भी मार डाला था। बाघ को पकड़ने के लिए ही महाराजपुर के कंपार्टमेंट नंबर 3 में ¨पजरा लगाया गया था मगर हर बार वह चकमा देकर निकल गया। उधर, टाइगर रिजर्व की माला वन रेंज से बाहर आया बाघ कुछ दिनों से संडई रेलवे हाल्ट क्षेत्र में घूम रहा है। वह कई मवेशियों को निवाला बना चुका है। बुधवार सुबह साढ़े छह बजे बाघ ने पहले रेलवे लाइन किनारे कुछ कुत्तों पर हमला बोला। उसके बाद आवारा घूम रहे बछड़े को जंगल में खींच ले गया।