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Lalfatak Overbridge : पेड़ों को कटने से बचाने के लिए किया ऐलान, बोले- जरूरत पड़ी तो खटखटाएंगे हर दरवाजा

लालफाटक ओवरब्रिज की जद में आ रहे पेड़ों को बचाने की जागरण की मुहिम तेज हो गई है। अब इस मुहिम के साथ शहर के तमाम लोग और संगठन भी जुड़ गए हैं। उन्होंने पेड़ों को हर हाल में बचाने का संकल्प लिया है

By Ravi MishraEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 10:49 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 05:45 PM (IST)
Lalfatak Overbridge : पेड़ों को कटने से बचाने के लिए किया ऐलान, बोले- जरूरत पड़ी तो खटखटाएंगे हर दरवाजा
Lalfatak Overbridge : पेड़ों को कटने से बचाने के लिए किया ऐलान, बोले- जरूरत पड़ी तो खटखटाएंगे हर दरवाजा

बरेली, जेएनएन। लालफाटक ओवरब्रिज : लालफाटक ओवरब्रिज की जद में आ रहे पेड़ों को बचाने की जागरण की मुहिम तेज हो गई है। अब इस मुहिम के साथ शहर के तमाम लोग और संगठन भी जुड़ गए हैं। उन्होंने पेड़ों को हर हाल में बचाने का संकल्प लिया है। उनका कहना है कि पेड़ों को बचाने के लिए अगर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाना पड़ेगा तो वह पीछे नहीं रहेंगे। उन्होंने पेड़ों को काटने की बजाय ट्रांसलोक्ट (एक स्थान से दूसरे स्थान पर लगाने) की मांग की है।

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सेना की भूमि पर सेतु निगम को ओवरब्रिज का निर्माण करना है। बीते दिनों मिली अनुमति के बाद सेतु निगम ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहां ओवरब्रिज से पहले वाहनों को निकालने के लिए दोनों ओर सर्विस रोड बनाई जानी है। इस जगह पर करीब 44 पेड़ आ रहे हैं, जो सर्विस रोड निर्माण में बाधा बने हैं। इन पेड़ों को काटने के लिए सेतु निगम के इंजीनियरों ने रक्षा संपदा अधिकारी को पत्र भेजा है। वहां पेड़ों को बचाने के लिए दैनिक जागरण ने मुहिम शुरू की है। लोगों को जीवन देने वाले इन अमूल्य पेड़ों को काटने की बजाय उसे दूसरी जगह शिफ्ट किए जाने को कहा जा रहा है। जागरण की इस मुहिम में अब शहरवासियों ने भी जुड़ना शुरू कर दिया है।

अदालत का दरवाजा खटखटाएगी जागर संस्था

जागर संस्था के सचिव डॉ. प्रदीप कुमार ने बताया कि कैंट क्षेत्र में 44 पूर्व विकसित पेड़ों को काटने के प्रस्ताव का हम विरोध करते हैं। इसके बजाय इन पेड़ों को ट्रांसलोकेट करना चाहिए। यह तरीका अब देश के अंदर कई शहरों में अपनाया जा रहा है। मथुरा में गोवर्धन पर्वत क्षेत्र में लगभग तीन हजार पेड़ों को काटने पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति करते हुए कहा है कि दस पौधे एक पूर्व विकसित वृक्ष का विकल्प नहीं हो सकते हैं। इलाहाबाद में दो दिन पहले ही राजमार्ग के चौड़ीकरण के लिए पेड़ों को काटने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार सुबह 11 बजे संस्था की ओर से सेतु निगम के उप परियोजना प्रबंधक व रक्षा संपदा अधिकारी को ज्ञापन देंगे। रक्षा मंत्रालय को भी पत्र भेजेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो अदालत का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वन क्षेत्र सिर्फ 7.33 फीसद है। ये राष्ट्रीय औसत 21 फीसद का भी सिर्फ एक तिहाई है।

हरित क्षेत्र में पेड़ काटने पर है पाबंदी 

समाजसेवी व आरटीआइ एक्टििविस्ट मुहम्मद खालिद जीलानी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हरित क्षेत्रों में पेड़ों को काटने पर पाबंदी लगा रखी है। कैंट क्षेत्र भी इसी के तहत आता है। अगर वहां सर्विस रोड बनाने के लिए पेड़ों को हटाना है तो उन्हें ट्रांसलोकेट कर दिया जाए। दे्र के अंदर कई शहरों में यह तकनीक आ गई है। वर्षों पुराने पेड़ भी आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। पुराने पेड़ों को काटने से पर्यावरण को काफी नुकसान होगा। इन पर निर्भर जीव-जंतुओं को काफी दिक्कत होगी। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के हिसाब से अधिकारियों से पत्राचार करेंगे। हरे पेड़ों को किसी भी सूरत में काटने नहीं दिया जाएगा।


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