Kamlesh Tiwari Murder Case : जानिए हत्या के बाद कातिलों ने क्यों चुना बरेली... Bareilly News
कमलेश के दोनों हत्यारोपित अशफाक और मोइनुद्दीन ने वारदात तो लखनऊ में की मगर पुलिस से बचने की योजना बरेली में बनती रही। साजिशकर्ता आसिम प्रमुख भूमिका में रहा।
जेएनएन, बरेली : कमलेश के दोनों हत्यारोपित अशफाक और मोइनुद्दीन ने वारदात तो लखनऊ में की मगर पुलिस से बचने की योजना बरेली में बनती रही। साजिशकर्ता आसिम प्रमुख भूमिका में रहा। हत्या के आरोपित तीन दिन तक इसी क्षेत्र में रहे मगर, पीछे लगी टीमें उन तक नहीं पहुंच सकीं।
बरेली ही क्यों
दोनों आरोपितों ने हत्या से पहले बड़ा होमवर्क किया था। उन्होंनें हत्या के बाद गुजरात तक पहुंचने का रूट प्लान पहले ही तैयार कर रखा था। लखनऊ से पांच घंटे की दूरी पर स्थित बरेली उनके लिए सबसे सुरक्षित था। यहां उनके जानने वाले भी थे और मददगार भी। यहां से नेपाल जाने का रास्ता भी था और गुजरात निकलने के संसाधन भी। इसलिए वारदात के बाद सीधे यहीं पहुंचे। यहां पहुंचते ही इलाज व खाने-पीने का इंतजाम हुआ। शुक्रवार की रात नौ बजे से शनिवार सुबह सात बजे तक रुके, यह बात जांच टीमें पहले ही कह रहीं। इसके बाद पलिया पहुंचे तो वहां किराये पर कार की जरूरत थी। उस वक्त भी बरेली के एक युवक ने ट्रैवल एजेंसी संचालक को फोन किया था। उसके कहने पर कार बुक हुई। पलिया में पकड़े गए लोगों से पूछताछ के बाद एसटीएफ को यह जानकारी मिली।
नागपुर के आसिम का नेटवर्क
बीते शुक्रवार को लखनऊ में कमलेश तिवारी की हत्या के तार गुजरात, उप्र, महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों से जुड़े निकले हैैं। गुजरात और महाराष्ट्र से चार साजिशकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। इनमें से एक महाराष्ट्र के नागपुर से जो साजिशकर्ता आसिम अली गिरफ्तार हुआ वह पिछले साल एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बरेली आया था। एटीएस व एसटीएफ से जुड़े सूत्रों के अनुसार, यहीं उसकी मुलाकात नातख्वा (कविता पढऩे वाले) मौलाना सय्यद कैफी अली से हुई थी। इसके बाद दोनों के बीच बातचीत होती रही। इसके पीछे आसिम की मंशा क्या थी, इसकी भनक किसी को नहीं।
मदद किसकी कर रहे, इसकी जानकारी कम
एटीएस के अनुसार, आसिम ने कैफी को घटना वाले दिन ही फोन कर दो युवकों की मदद व इलाज कराने के लिए कहा था। अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि मदद के वक्त कैफी को उन दोनों युवकों के हत्यारोपित होने की जानकारी थी या नहीं। परिचित की सिफारिश पर दोनों को सामान्य युवक समझकर मदद की या जानबूझकर हत्यारोपितों को पनाह दी, इस बाबत पूछताछ चल रही।
गुजरात के साजिशकर्ता के संपर्क में था आसिम
जांच टीमों ने अब जो पूछताछ की उसके अनुसार, आसिम को यह निर्देश गुजरात से पकड़े गए साजिशकर्ताओं ने दिए थे। एटीएस व अन्य टीमें लगातार हत्यारोपितों की कॉल ट्रेस करते हुए आसिम तक पहुंची तो उसकी कॉल डिटेल में कैफी का नाम सामने आया। इसके चलते महाराष्ट्र एटीएस ने आसिम को पकड़ा। उसी रात उप्र की एटीएस ने बरेली के मुहल्ला शाहबाद स्थित घर से कैफी को हिरासत में लिया है। बता दें हत्यारोपितों के लखनऊ आने के बाद उनसे जांच होगी। अलग-अलग बैठाकर जांच होगी। इसके बाद ही तय हो सकेगा कि मौलाना कैफी अली की पूरे मामले में क्या भूमिका थी।
बार-बार चूकती रहीं टीमें
शुक्रवार से सोमवार तक अशफाक और मोइनुद्दीन की लोकेशन बार-बार मिल रही थी। एटीएस और एसटीएफ की टीम जब तक वहां पहुंचती, उससे पहले ही वे निकल जाते। हत्या के बाद घटनाक्रम पर नजर डालें तो दोनों हत्यारोपित बरेली मंडल में लगभग ढाई दिन से अधिक रहे लेकिन पकड़े गुजरात में गए।
यू ट्यूब पर लाखों चाहने वाले
मौलाना सय्यद कैफी अली की आवाज के लाखों चाहने वाले हैं। उनकी नात को सुनने के लिए जलसों में बड़ी भीड़ उमड़ती है। वहीं यू ट्यूब व अन्य सोशल साइट्स पर भी उनके लाखों चाहने वाले हैं।
घटनाक्रम एक नजर में
18 अक्टूबर को दोपहर में हत्या करने के बाद शाम को आ गए बरेली
18 अक्टूबर की रात भर यहां रहे इलाज कराया
19 अक्टूबर की सुबह बरेली से निकले
20 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी और नेपाल के आसपास रहे दोनों
21 अक्टूबर को शाहजहांपुर में दिखे दोनों
21 को फिर बस से जयपुर निकल गए