Jagran Special : न हवा साफ है न पानी, सेहत भारी पर पड़ रही शहर की आबोहवा Bareilly News
...और भाई! कैसे हैैं। हवा-पानी सब बढिय़ा...। किसी भी शहर के बाशिंदे का हाल जानने का अंदाज बेहद पुराना है। इसके मायने भी हैैं।
जेएनएन, बरेली : ...और भाई! कैसे हैैं। हवा-पानी सब बढिय़ा...। किसी भी शहर के बाशिंदे का हाल जानने का अंदाज बेहद पुराना है। इसके मायने भी हैैं। वजह, हवा और पानी किसी भी इंसान के स्वास्थ्य को सबसे जल्द प्रभावित करते हैैं। हमारा शहर वैसे भले ही स्मार्ट होने की दिशा में हो लेकिन हवा-पानी के मानकों पर खरा नहीं उतरता। ओवरब्रिज, सीवर की खादाई, निर्माण कार्यों से आबोहवा तो पहले से दूषित हो चुकी थी, पानी भी लगातार खराब होता जा रहा।
रविवार को सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया कि देश के 21 शहरों की हवा-पानी ठीक नहीं। सोमवार को बरेली की स्थिति देखी तो यहां भी हालात ठीक नहीं मिले। जमीन के नीचे मौजूद पानी (टीडीएस 600 प्लस) भी बेहद खराब स्थिति में निकला। नगर निगम की सप्लाई वाला पानी जरूर टीडीएस के पैमाने पर कुछ जगह पर ठीक मिला मगर पीला होने के कारण उपयोग कम ही किया जाता है। ऐसे में बेहतर रहे कि पानी को उबालकर ही पियें।
इंडिया मार्का हैंडपंप का पानी न पियें तो बेहतर
शहर में यहां-वहां लगे इंडिया मार्का हैैंडपंप का नमूना जहां भी लिया गया, कहीं भी पानी पीने काबिल नहीं मिला। अधिकतर जगह टोटल डिजॉल्व सॉलिड (टीडीएस) 600 पीपीएम से ज्यादा ही था। यानी वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मानक, 300 पीपीएम से दोगुना से भी ज्यादा।
लैब ना नमूने, ऐसे ही सप्लाई
एक्सपर्ट बताते हैैं कि वैसे तो संबंधित निगम को शहर में पानी की सप्लाई करने से पहले रोजाना उसका नमूना लेकर जांच करना चाहिए। यह काम नगर निगम, जल निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीम के जरिये होना चाहिए। नमूना सही पाए जाने पर ही सप्लाई हो मगर अपने शहर में कोई लैब ही नहीं। न ही नमूने लिए जाते हैैं।
पानी मेें टीडीएस कम और ज्यादा दोनों खतरनाक
पानी एक अच्छा विलायक है, इसमें गंदगी आसानी से घुल जाती है। शुद्ध पानी- बेस्वाद, बेरंग और बिना गंध का होता है। टीडीएस यानी घुलित ठोस पदार्थ, दरअसल पानी में घुले खनिज, नमक, विभिन्न धातु होते हैैं। इनमेें कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, बाइकार्बोनेट, क्लोराइड और सल्फेट आदि होते हैैं। टीडीएस का मानक पीपीएम पाट्र्स पार्टिकल इन मिलियम में होता है। वैसे तो टीडीएस को सीधे स्वास्थ्य प्रभाव से नहीं जोड़ा जाता, लेकिन यह जरूर देखा जाता है कि पानी शुद्ध यानी पीने योग्य है या नहीं। साफ है कि पानी पीने लायक नहीं होगा तो स्वास्थ्य खराब करेगा ही।
नगर निगम का पानी सफाई के काम में
लोगों से बातचीत हुई तो नगर निगम सप्लाई का पानी अधिकतर लोग पीने के काम नहीं लाते। नलकूपों पर स्थित बेहद खराब है। कागजों में तैनात रहने वाले स्टॉफ मौके पर दिखाई नहीं दिया। ऐसे में पानी की शुद्धता पर सवाल उठना लाजमी है।
जगह : पीलीभीत बाईपास
मुहल्ला : नवादा शेखान
नगर निगम सप्लाई का टीडीएस : 378
इंडिया मार्का हैैंडपंप : 642
बोले मुहल्ले के लोग
पानी को बोतल में भरने के कुछ देर बाद बोतल में पीलापन दिखाई देता है। नगर निगम की सप्लाई वाला पानी नहीं पीते हैं।
- विमला देवी
टंकी का पानी अक्सर ही गंदा आता है। इस पानी को पीने पर मुंह कड़वा हो जाता है।
- चंद्रभान सिंह
जगह : पुराना शहर
मुहल्ला : घेर जाफर खां
नगर निगम टीडीएस : 256
इंडिया मार्का हैंडपंप : 602
करीब दो वर्ष से घर में गंदे पानी की सप्लाई हो रही है। इसका इस्तेमाल सड़क साफ करने में ही करते हैं।
- एमडी सक्सेना
पानी में बदबू आती है। सिर्फ फर्श ही साफ करते हैं। उसके बाद फिनाइल का पोछा लागाते हैं।
- मोज्जम खान
जगह : राजेंद्र नगर
मुहल्ला : पीडब्लूडी कॉलोनी
नगर निगम सप्लाई टीडीएस : 293
इंडिया मार्का हैैंडपंप : 562
पानी ठीक है। कभी-कभी गंदा पानी आता है। लेकिन फिल्टर करने के बाद ही प्रयोग में लेते हैं।
- विकास
फिल्टर वाटर से ही सब्जियां साफ करती हूं। सप्लाई वाले पानी से कपड़े और घर की सफाई होती है।
- सरिता
जगह : बिहारीपुर
मुहल्ला : किशोर बाजार
नगर निगम सप्लाई टीडीएस : 229
इंडिया मार्का हैैंडपंप : 665
निगम में शिकायत करने पर सुनवाई नहीं होती। सप्लाई वाला पानी पीना मजबूरी है।
- मनोज कुमार
सुबह और शाम दोनों समय गंदा पानी आता है। हमारे पास पानी का दूसरा स्त्रोत नहीं है।
- बाबू
शहर में 81 नलकूपों से घरों में पानी की सप्लाई होती है। डब्ल्यूएचओ मानकों के अनुकूल गुणवत्ता का पानी सप्लाई होता है।
राजेश यादव, महाप्रबंधक, जलकल विभाग