Jagran Column: बोली गली : मतलब की हरियाली Bareilly News
हरियाली के सहारे वाहवाही लूटने की कोशिशें पतझड़ से पहले ही मुरझा गईं।
अभिषेक जय मिश्रा, बरेली : हरियाली के सहारे वाहवाही लूटने की कोशिशें पतझड़ से पहले ही मुरझा गईं। कैंट बोर्ड ने स्वच्छता सर्वेक्षण में टॉप टेन में शामिल होने की लंबी छलांग लगाने के लिए वर्टिकल गार्डन का सहारा लिया था। 25 हजार की हरियाली खर्च करके आरएन टैगोर हाईस्कूल की दीवार पर पौधों की हरियाली नजर आने भी लगी। कोशिश थी कि दिल्ली की टीम इन्हें देखकर खुश हो जाएगी। 58 से 85 वें पायदान तक गोता लगाने के बाद रैकिंग को सुधारने में मदद मिलेगी। सर्वेक्षण होने तक दीवार पर लगे इस गार्डन में सुबह शाम खूब पानी पड़ा। माली देखभाल भी करता रहा। लेकिन मतलब की फितरत आखिर कहां छूटती है। सर्वेक्षण होते ही बोर्ड के सदस्य गार्डन को बिसरा बैठे। जैसा कि अंदेशा था कि नतीजा आने से पहले ही पौधों की हरियाली पीली पड़ गई। चर्चा है कि इन पौधों को नया जीवन देने के लिए कुछ सदस्य आगे आए हैं।
कंगाल हुआ बोर्ड
बहाना विकास का ही सही, लेकिन कैंट बोर्ड में ईमानदार मैडम की खिलाफत के कई तराने बोर्ड ऑफिस के गलियारों में गंूज रहे हैं। बोर्ड के सदस्यों ने खुला खत लिखकर मैडम पर भले ही हमला बोल दिया है, लेकिन अंदरखाने में हकीकत कुछ जुदा है। सदर, बीआइ और आरए बाजार का विकास नहीं होने की पुरानी ढपली पर नए राग सुनाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि मैडम आने के बाद से विकास कार्यों से कतरा रही हैं। नुकसान तो कैंट के 30 हजार परिवारों का हो रहा है। बोर्ड के एक पुराने सदस्य इस चर्चा पर हंसते हुए बोले कि मैडम तो ईमानदार हैं। इसलिए गड़बड़ी वाले कामों पर हाथ नहीं रख रही हैं। दो साल से बोर्ड का बजट रक्षा मंत्रालय में ही अटका हुआ है। कंगाल हो चुके बोर्ड से कितनी उम्मीद करते हो। दर्द-ए-दिल पर बोर्ड सदस्यों का डिस्को तो होना ही था।
मैडम झुमके वाली
झुमका तिराहे पर हो या मैडम के कानों पर, बात तो उठनी ही थी। देश भर में झुमके वाली बरेली की चर्चा इसलिए उठी, क्योंकि परसाखेड़ा पर झुमके की डिजाइन अब सार्वजनिक हो रही थी। आयोजन में मंत्री, विधायक, कमिश्नर, डीएम से लेकर पूरी क्रीमी लेयर बुलाई गई थी। आयोजन भले ही ऑफिशियल था, लेकिन हंसी ठिठोली का दौर भी चला। एक प्रशासकीय अधिकारी माहौल की रवानी पर बोले - उद्घाटन भले ही झुमके का करने आए हैं, लेकिन खूबसूरत तो मैडम के झुमके भी कम नहीं है। इतना सुनते ही विधायक जी, हंस पड़े। मौके की नजाकत ऐसी है कि मैडम के झुमके की चमक तिराहे पर लगे झुमके से ज्यादा लग रही है। अधिकारी बोले- चमक के पीछे बोर्ड सदस्यों की खिलाफत है। कोशिश हुई मैडम पर दबाव बना लिया जाए। पर, मैडम के झुमकों की नजाकत और नफासत जता रही है कि बाजी उनके हक में है।
साहब, आते-जाते रहा करो
मुरझाए से स्टेशन परिसर में अचानक एक सुबह बड़ी रौनक थी। सूरज तो सही दिशा से उगा था, लेकिन पूरा रेलवे स्टाफ स्टेशन को एयरपोर्ट की तरह चमकाने में लगा हुआ था। ऐसा हो भी क्यों न, मुरादाबाद मंडल के दूसरे नंबर के साहब जो आए हुए थे। स्टेशन की फर्श को घिस-घिसकर चमकाते कर्मचारी मास्क, कैप और वर्दी में मुस्तैद थे। गेट और ओवरब्रिज पर काले कोट में टिकट चेक करता स्टाफ चाक चौबंद था। लंबे समय से बंद लिफ्ट पर भी मजदूर काम कर रहे थे। एक्सलेटर में भी पूरा करंट दौड़ रहा था। इतना सब देखकर यात्री खुश थे। सुविधाएं जो भरपूर मिल रही थीं। बड़े साहब भी पूरा मामला समझ चुके थे। इसलिए डस्टबिन तक खुलवाकर देख लिया। इशारों में स्टाफ को चेता गए कि स्टेशन को चमकाते रहना। साहब तो लौट गए। यात्री बस इतना कहते सुने गए कि साहब, स्टेशन पर आते-जाते रहा करो।