एलएचबी कोचों की ओवरहालिंग करेगा इज्जतनगर यांत्रिक कारखाना, ट्रायल के लिए मिले आठ कोच
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल ट्रेनों की स्पीड बढ़ाए जाने की योजना में इज्जतनगर मंडल का यांत्रिक कारखाना भी सहयोग करेगा। ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए रेल बोर्ड ने पुराने इंटीग्रल कोच फैक्ट्री(आइसीएफ) कोचों को समाप्त कर नए एलएचबी कोच लगाने की स्वीकृति दी है।
अंकित शुक्ला
बरेली, जेेएनएन। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल ट्रेनों की स्पीड बढ़ाए जाने की योजना में इज्जतनगर मंडल का यांत्रिक कारखाना भी सहयोग करेगा। ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए रेल बोर्ड ने पुराने इंटीग्रल कोच फैक्ट्री(आइसीएफ) कोचों को समाप्त कर नए एलएचबी (जर्मन कंपनी लिंक हॉफमैन बुश के तकनीक सहयोग से निर्मित) को लगाने की स्वीकृति दी है।
इंटीग्रेल कोच आइसीएफ चेन्नई में बनते थे। जिसका 2018 से कंपनी ने प्रोडक्शन बंद कर दिया है। इन कोचों का वजन अधिक होता है। जिससे यह कोच 120 से अधिक की स्पीड में भागने में सहायक नहीं होते हैं। जबकि एलएचबी कोच लाइट वेट का होता है। जो हाईस्पीड के लिए बिल्कुल सही माने जा रहे हैं। इसके अलावा इन्हें काफी आरामदायक व नई सुविधाओं के साथ बनाया गया है। इन कोचों की अब इज्जतनगर कारखाना में भी ओवरहॉलिग होगी। जो कि प्रत्येक कोच में 18 माह में एक बार की जाती है। पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विनय त्रिपाठी ने पूर्वोत्तर रेलवे श्रमिक संघ की मांग पर इज्जतनगर यांत्रिक कारखाना को आठ कोच को ट्रायल के लिए दिए हैं। ट्रायल सफल होने के बाद इन कोचों का उत्पादन और बढ़ा दिया जाएगा।
स्टील की बॉडी का होता है इस्तेमाल
आइसीएफ कोच की तुलना में एलएचबी कोच हल्के होते है। इसके साथ ही इन कोचों में लोहे की जगह स्टील की बॉडी का इस्तेमाल होता है। जिससे इनमें जंग लगने की संभावना नाम मात्र की होती है।
10 बर्थ भी होती है अधिक
आइसीएफ कोच की तुलना में एलएचबी कोच में 10 अतिरिक्त सीटें होती है। जो कि राजस्व की दृष्टि से भी रेलवे के लिए अच्छा है। दरअसल आइसीएफ कोच में केवल 72 बर्थ होती है। जबकि एलएचबी कोच में 82 बर्थ होती है।
क्या कहना है रेलवे अधिकारियों का
इज्जतनगर यांत्रिक कारखाना को एलएचबी कोचों की ओवरहालिंग के लिए अभी फिलहाल आठ कोच दिए गए हैं। सब कुठ ठीक रहा तो जल्द ही इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी होगी।
राजेंद्र सिंह, जनसंपर्क अधिकारी इज्जतनगर मंडल